
पटना। बिहार में भले ही मौजूदा नीतीश सरकार जंगलराज के खत्म होने के दावे करती रही हो. लेकिन गाहे-बगाहे ऐसी कई घटनाएं सामने आ जाती हैं, जो इन दावों को खारिज करती हुई नजर आती हैं. ताजा मामला बिहार के भोजपुर का है, जहां का कुख्यात बदमाश बूटन चौधरी एक बार फिर सुर्खियों में है. क्योंकि इसी बूटन चौधरी के घर से ठीक 9 साल बाद एक बार फिर एके-47 मिली है. एसटीएफ को जैसे ही इस बात की जानकारी हुई, वह तुरंत बूटन चौधरी के घर पहुंची और छापेमारी कर उसे बरामद कर लिया. हालांकि बूटन अभी तक नहीं मिला. लेकिन उसके भाई यानी कि उपेंद्र चौधरी को गिरफ्तार कर अपने साथ लेकर चली गई. वहीं उपेंद्र चौधरी की पत्नी उर्मिला देवी का कहना है कि बूटन से अब उसका कोई रिश्ता नहीं है. उर्मिला देवी के मुताबिक उसके देवर बूटन ने पहले उनके बेटे की हत्या करवाई और अब उनके पति को फंसाने की कोशिश कर रहा है.
बता दें कि बूटन चौधरी पर बिहार पुलिस ने दो लाख रुपये का इनाम रखा है. ऐसा कहा जाता है कि बूटन हथियारों का शौकीन है. इसका अंदाजा इससे ही लग जाता है कि जब एसटीएफ ने उसके घर से छापेमारी की तो वहां से उन्हें एके-47 के अलावा दो हैंड ग्रेनेड, एके-47 की 43 गोलियां और 4 मैगजीन बरामद किया. साल 2016 में मार्च में अपनी दबंगई दिखाने के लिए बूटन चौधरी भोजपुर में एक शादी समारोह में धोती-कुर्ता पहने हुए अपने गुर्गों के साथ पहुंचा. इस दौरान बूटन के पास एके 47 होती है. इस बात की भनक जैसे ही पुलिस को लगती है, उसके घर पर पुलिस छापेमारी के लिए पहुंचती है. पुलिस के घर से एके-47 सहित तीन देसी कट्टा, एके-47 के तीन जिंदा कारतूस और दूसरी बंदूक की 31 गोलियां बरामद करती है. फिर बूटन को अपने साथ लेकर चली जाती है.
एक ही गांव के रहने वाले बूटन चौधरी और रंजीत चौधरी का याराना डेढ़ दशक पुराना था. रंजीत बूटन के लिए काम करता था. दोनों के नाम पर इलाके में घटनाओं का अंजाम दिया जा रहा था. लेकिन एक जमीन के टुकड़े ने दोनों दोस्तों को आपस में जान का दुश्मन बना दिया. बूटन चौधरी रंजीत चौधरी के पिता की जमीन चाहता था, जिसे लेकर दोनों में दुश्मनी बढ़ गई. साल 2012 में बूटन और रंजीत के भाई हेमंत चौधरी के बीच जमकर गोलीबारी हुई थी. इसके बाद से रंजीत और बूटन में अदावत शुरू हो गई थी.
साल 2014 के नवंबर महीने में बूटन चौधरी पर गोलियों से ताबड़तोड़ हमला किया गया. लेकिन वो बाल-बाल बच गया. इसके बाद हत्याओं का दौर शुरू हो गया. साल 2014 के नवंबर महीने में बेलाउर पंचायत की मुखिया चंपा देवी की गला घोंटकर हत्या कर दी गई. चंपा देवी बूटन चौधरी के नौकर की पत्नी थी, जिसने पंचायत चुनाव में जीत हासिल की थी. मई, 2016 में रंजीत चौधरी के बड़े भाई हेमंत चौधरी को पंचायत चुनाव के दौरान गोलियों से भून दिया गया. इस चुनाव में बूटन चौधरी के बड़े भाई उपेंद्र चौधरी की पत्नी उर्मिला देवी ने जीत हासिल की. हेमंत की हत्या में बूटन का नाम सामने आया.
इसके बाद बूटन के करीबी गड़हनी के पोसवां पंचायत के वार्ड परिषद रजनी देवी के पति परमात्मा रवानी की हत्या कर दी गई. फिर साल 2021 मार्च में बूटन चौधरी के भतीजे व उपेंद्र चौधरी के बेटे दीपू चौधरी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई. दीपू बूटन चौधरी से मिलने आरा कोर्ट आया हुआ था. दीपू जब कोर्ट से घर जा रहा था. तब उसे दौड़ाकर गोलियों से भून दिया गया. 28 अप्रैल 2023 में बेलाउर गांव के रहने वाले दीपक कुमार साह की चुनावी रंजिश के तहत गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में बूटन चौधरी, उसके बड़े भाई उपेंद्र चौधरी सहित अन्य लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया. तब से लेकर आजतक बूटन फरार चल रहा है.