लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने घोषित की सपा की राज्य कार्यकारिणी
लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले समाजवादी पार्टी ने अपने नए घोषित राज्य कार्यकारिणी में सवर्ण बिरादरी को साधने की कोशिश की है, जबकि जातिगत समीकरण में सबको स्थान देते हुए यादव बिरादरी को कम जिम्मेदारियां दी गई है. 62 विशेष आमंत्रित सदस्यों को अगर छोड़ दिया जाए तो 120 घोषित कमेटी में गैर यादव ओबीसी को सबसे ज्यादा महत्ता दी गई है. यानी कि गैर यादव ओबीसी को 45 जगहों पर पदाधिकारी बनाया गया है, जबकि 24 मुसलमानों को पदाधिकारी बनाया गया है.
वहीं 17 दलितों, 11 यादव, 8 ब्राह्मण और 9 ठाकुर बिरादरी के लोगों को जगह दी गई है. इसके अलावा 15 को अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर संगठन में जिम्मेदारी दी गई है. प्रदेश संगठन में सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला दिखाई दे रहा है. पिछड़ा, दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए के साथ-साथ अगड़ी जाति के लोगों को भी खासा प्रतिनिधित्व देकर समाजवादी पार्टी ने उनको अपने नजदीक लाने की कोशिश की है.
समाजवादी पार्टी भले ही जातिगत जनगणना को मुद्दा बना रही हो, लेकिन सवर्ण भी उनके एजेंडे में शामिल दिखाई दे रहा है. 182 सदस्य कमेटी में 70 बड़े पदाधिकारी में से 10 सवर्ण जाति से आते हैं, जबकि गैर सवर्ण जाति में सबसे ज्यादा 30 गैर यादव ओबीसी हैं, दलित व अनुसूचित जाति के 10 पदाधिकारी हैं. सिख और ईसाई जाति के लोगों को भी महत्ता दी गई है.
वहीं जातिगत संतुलन बनाने के साथ-साथ क्षेत्रवार संतुलन बनाने की भी कोशिश की गई है. समाजवादी पार्टी ने कई मौजूदा विधायकों को भी जिम्मेदारी दी है, जिनमें रागिनी सोनकर, आरके वर्मा, जियाउद्दीन रिजवी और नफीस अहमद शामिल हैं. वहीं आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम को भी कार्यकारिणी में महत्ता दी गई है.
शिवपाल सिंह यादव के खास लोगों को अहमियत दी गई है, जिनमें आशीष चौबे, लल्लन राय, प्रेम प्रकाश वर्मा और विष्णु गोपाल प्रमुख हैं, जिनको शिवपाल यादव का करीबी माना जाता है यानी कि अखिलेश यादव ने राज्य कार्यकारिणी में शिवपाल यादव को भी महत्व दिया है.