नई दिल्ली : भारत इजरायल में हमास जैसे सरप्राइज अटैक से बचने के लिए अपनी सीमाओं पर ड्रोन के साथ एक निगरानी प्रणाली स्थापित कर रहा है। देश के रक्षा अधिकारियों ने निगरानी और टोही ड्रोन के छह घरेलू विक्रेताओं के साथ मुलाकात की है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले सप्ताह और अगले महीने तक इस संबंध में एक घोषणा होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में मामले से जुड़े लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस सिस्टम को अगले साल मई की शुरुआत में सीमा के कुछ हिस्सों में चालू करने पर विचार किया जा रहा है।
भारत की तरफ से अपनी सीमाओं पर 24 घंटे निगरानी रखने को लेकर यह कदम तब उठाया गया है जब पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान के साथ खासकर हिमालय इलाके में तनाव बना हुआ है। वहीं, यूक्रेन में युद्ध ने मोदी सरकार को अपने हथियारों के भंडार, युद्ध की तैयारियों और युद्ध के मैदान पर प्राथमिकताओं का पुनर्मूल्यांकन करने पर मजबूर कर दिया है। हमास के सरप्राइज अटैक ने देश को कुछ सुझाए गए उपायों को शीघ्रता से लागू करने के लिए प्रेरित किया है। भारत अतीत में अचानक हुए हमलों का शिकार हुआ है। 2008 में, हमलावर हथियारों और हथगोले से लैस पाकिस्तान के हमलावरों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसपैठ की और तीन दिनों तक शहर के प्रमुख स्थलों की घेराबंदी की थी। इस हमले में 166 लोग मारे गए। इसके अलावा, भारत ये बात कहता रहा है कि कि पश्चिमी बॉर्डर पर ड्रोन का इस्तेमाल हथियारों और ड्रग्स को ले जाने के लिए किया जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार इस सिस्टम को सीमाओं के पूरे हिस्से को कवर करने में लगभग 18 महीने लग सकते हैं। इसकी लागत सालाना 500 मिलियन डॉलर तक हो सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हाई-एल्टीट्यूड छद्म उपग्रह, सोलर एनर्जी से चलने वाले ड्रोन होंगे। ये बिना लैंडिंग के लंबे समय तक काम कर सकते हैं। इनका उपयोग सर्विलांस सिस्टम के लिए किया जाएगा। 24/7 हाई एल्टीट्यूड में पावरफुल ड्रोन बॉर्डर के साथ ही पारंपरिक रडार नेटवर्क के बैकअप के रूप में भी काम करेंगे। ये सीधे स्थानीय कमांड सेंटरों को तस्वीरें भेजेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तैनात किए गए ड्रोन और उनका सपोर्टिंग सॉफ्टवेयर को लोकल लेवल पर डेवलप किया जाएगा। भारतीय सेना, जो हथियार प्लेटफार्मों के लिए रूस पर बहुत अधिक निर्भर है, 10 साल के 250 अरब डॉलर के सैन्य आधुनिकीकरण प्रयास के बीच स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। इस सिस्टम के लागू होने के बाद देश का भूमि सीमा और समुद्र तट पूरे 14,000 मील (22,531 किलोमीटर) निरंतर निगरानी में रहेंगे। इससे पहले, नई दिल्ली ने निगरानी और टोह लेने के लिए अमेरिका से दो ड्रोन किराए पर लिए थे। उस समय 2020 की गर्मियों में बीजिंग के साथ सीमा तनाव का मौजूदा दौर पहली बार शुरू हुआ था।