ओमिक्रोन के यह सभी 20 लक्षणों के बारे में सभी लोग जान लें
नई दिल्ली: देश में कोरोना के बढ़ते मामलों में फिलहाल कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है।ज्यादातर मरीज ओमिक्रॉन वैरिएंट से ही संक्रमित हैं। ओमिक्रॉन के लक्षणों में कई तरह के बदलाव दिखाई दिए हैं। हर मरीजों में ये लक्षण अलग-अलग तरीके से नजर आते हैं।एक स्टडी में ओमिक्रॉन के सभी 20 लक्षणों के बारे में जानकारी दी गई है।साथ ही ये भी बताया गया है, कि शरीर में ये लक्षण कब से शुरू होकर कब तक बने रहते हैं।ओमिक्रॉन के ज्यादातर मरीजों में इनमें से अधिकांश लक्षण देखने को मिल रहे हैं। ओमिक्रॉन के मरीजों में संक्रमित होने के 2 से 5 दिनों के बाद लक्षण दिखाते हैं आमतौर पर जुकाम जैसे लक्षण ओमिक्रॉन के ही होते हैं, जो औसतन 5 दिनों तक रहते हैं। हालांकि पाबंदियों, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने का बहुत असर पड़ता है और इसकी वजह से फ्लू के मामले भी घटे हैं।
डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन के लक्षण कम दिनों तक रहते हैं।लोगों में लक्षण बहुत कम समय के लिए दिखाई देते हैं, खासतौर से पहले सप्ताह में काफी कम दिखाई देते है। अगर लोग 5 दिनों के बाद टेस्ट में नेगेटिव आते हैं,तब इसका मतलब है कि इन 5 दिनों में ये लक्षण आकर जा चुके है। यानी ये जितनी तेजी से दिखाई देते है, उतनी ही तेजी से चले जाते हैं।ज्यादातर लोगों में ओमिक्रॉन के लक्षण 3 से 5 दिनों तक रहते हैं।वैक्सीनेटेड लोगों में इसके लक्षण हल्के हैं। ओमिक्रॉन उन लोगों में ज्यादा गंभीर है जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की एक भी डोज नहीं ली है।
एक्सपर्ट का कहना है कि ओमिक्रॉन के मामलों में गंभीर लक्षण सामने नहीं आए हैं। साथ ही ओमिक्रॉन से रिकवर होने वालों का इम्यूनिटी लेवल भी अच्छा होगा।एक्सपर्ट मानते हैं कि नए वैरिएंट पर काबू पाने के बाद यह इम्यूनिटी लंबे समय तक लोगों के शरीर में बनी रह सकती है।ओमिक्रॉन या दूसरा कोई भी वैरिएंट इम्यूनिटी को बेहतर बनाता है। फिर यहीं इम्यूनिटी उस वैरिएंट के खिलाफ ज्यादा असरदार बन जाती है।हालांकि ये दूसरे लोगों को संक्रमित करना तब भी जारी रखता है। वायरस की चपेट में आए मरीजों के शरीर में एंटी-एन एंटीबॉडीज पाए गए हैं।इसकारण रिकवर होने के बाद उनके शरीर पर वायरस का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है।
स्टडी के मुताबिक आम सर्दी-जुकाम से भी शरीर में कोविड से लड़ने की इम्यूनिटी बढ़ती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि आम खांसी और छीकें टी कोशिकाओं को बढ़ाती हैं। ये कोशिकाएं ही शरीर में कई तरह के वायरस को पहचानने का काम करती हैं।हमने पाया कि पहले से मौजूद टी कोशिकाओं के उच्च स्तर से कोविड संक्रमण से बचा सकता हैं। ये एक महत्वपूर्ण खोज है लेकिन ये सुरक्षा का केवल एक रूप है और सिर्फ इसी पर अकेले भरोसा नहीं किया जा सकता। कोरोना से खुद को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप वैक्सीन की डोज और बूस्टर लगवाएं।