–गोपाल सिंह पोखरिया
उत्तराखंड में रोजगार की रीढ़ माने जाने वाले चारधाम यात्रा ने इस बार सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। 56 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने अब तक चारों धाम के दर्शन किए हैं। बदरीकेदार के साथ ही गंगोत्री व यमुनोत्री में भी रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। इस बार केदारनाथ धाम में 19,61,025, बदरीनाथ में 18,34,729, गंगोत्री धाम में 9,05,174, यमुनोत्री धाम में 7,35,244, हेमकुंड साहिब में 1,77,463 समेत कुल 56,13, 635 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। इसमें खास बात यह है कि इस बार की यात्रा ने आलटाइम रिकार्ड बनाया है। दस्तक टाइम्स ने अपने जुलाई के अंक में ही इस शीर्षक के साथ खबर दी थी कि ‘आपदा के दस साल बाद केदारनाथ धाम की यात्रा छुएगी नए कीर्तिमान’ लेकिन चारोंधाम ने यह नया रिकार्ड बनाया, जो आने वाले समय में प्रदेश की आर्थिकी को भी मजबूत बनाएगा। यात्रा के इतिहास में चारधाम समेत हेमकुंड साहिब में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का भी रिकॉर्ड बना है। केदारनाथ धाम में सबसे अधिक 19.61 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं। 22 अप्रैल से 18 नवंबर तक चली चारधाम यात्रा के लिए लगभग 75 लाख तीर्थयात्रियों ने पंजीकरण कराया। इसमें केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब में 56.13 लाख से अधिक ने दर्शन किए।
यात्रा के इतिहास में पहली बार श्रद्धालुओं का आंकड़ा 55 लाख पार हुआ है। प्रदेश सरकार को चारधाम यात्रा में 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद थी। इस पर यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या सही साबित हुई है। वर्ष 2022 में चारधाम व हेमकुंड साहिब यात्रा में 46.29 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे। इससे पहले 2021 और 2020 में कोविड काल में चारधाम यात्रा पूर्ण रूप से संचालित नहीं हो पाई है। 2021 में 5.29 लाख और 2020 में मात्र 3.30 लाख तीर्थयात्री पहुंचे थे। वर्ष 2019 में 34.77 लाख से अधिक श्रद्धालु यात्रा में आए थे। अप्रैल से नवंबर तक चली चारधाम यात्रा ने किस प्रकार से प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत किया, उसे आप इस आंकड़े से अनुमान लगा सकते हैं कि केदारनाथ और यमनोत्री में घोड़ा-खच्चर, हेली और डंडी-कंडी से ही 211 करोड़ का कारोबार हुआ। इसमें केदारनाथ में घोड़ा-खच्चर से 101.34 करोड़ का कारोबार हुआ, जबकि यमुनोत्री धाम में घोड़े खच्चरों से 21 करोड़ का कारोबार हुआ। इस वर्ष केदारनाथ यात्रा स्थानीय व्यवसाइयों के लिहाज़ से भी काफी बेहतर रही। सिर्फ यात्रा के टिकट, घोड़ा खच्चरों और हेली डंडी-कंडी के यात्रा भाड़े की बात करें तो लगभग 190 करोड़ के आस-पास यह कारोबार हुआ है। केदारनाथ धाम में इस बार घोड़े खच्चर व्यवसाइयों ने करीब 1 अरब 9 करोड़ 28 लाख रुपए का रिकॉर्ड कारोबार किया, जिससे सरकार को भी 8 करोड रुपए से ज्यादा का राजस्व प्राप्त हुआ।
यात्रा सुगम बनाने को लेकर प्रशासन ने 4302 घोड़ा मालिकों के 8664 घोड़े खच्चर पंजीकृत किए थे इस सीजन में 5.34 लाख तीर्थयात्रियों ने घोड़े-खच्चरों की सवारी कर केदारनाथ धाम तक यात्रा की। वही डंडी-कंडी वालों ने 86 लाख रुपए की कमाई की और हेली कंपनियों ने 75 करोड़ 40 लाख रुपए का कारोबार किया। इधर सीतापुर और सोनप्रयाग पार्किंग से लगभग 75 लाख का राजस्व सरकार को प्राप्त हुआ। इधर यमुनोत्री में घोड़े खच्चरों वालों का लगभग 21 करोड़ का कारोबार इस साल हुआ है। यमनोत्री धाम में लगभग 2900 घोड़े खच्चर पंजीकृत हैं। जिला पंचायत के अनुसार इस साल यात्रा काल में 21 करोड़ 75 लाख का कारोबार हुआ है। यह आंकड़ा भी रिकॉर्ड तोड़ा है। इसके अलावा चारधाम यात्रा मार्ग के सभी होटल व होमस्टे, लाज और धर्मशालाएं भी पिछले छह माह तक बुक रहीं। पिछले वर्षों तक प्रदेश जहां आर्थिक नुकसान झेल रहा था, इस साल अगस्त तक 40 करोड़ की आय कर चुका है। गढ़वाल मंडल विकास निगम के प्रबंध निदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि यह आंकड़ा 50 करोड़ के करीब जाने का अनुमान है। इसके अलावा चारधाम यात्रा से जुड़े टैक्सी व्यवसायों ने भी पिछले वर्षों की औसत आय से तीन गुना अधिक कारोबार किया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस बार की चार धाम यात्रा बहुत उत्साहवर्धक रही है। प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा धार्मिक स्थलों पर आने वाले तीर्थयात्रियों को स्थानीय उत्पादों की खरीद पर पांच प्रतिशत खर्च करने के लिए अपील की गई है। आने वाले समय में हम स्थानीय उत्पादों के बिक्री की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों व कुशल यात्रा प्रबंधन की बदौलत 46 लाख यात्रियों ने इस वर्ष चार धाम यात्रा की। पिछले दो दशक में यह सबसे अधिक आंकड़ा है, वहीं केदारनाथ धाम की अकेले बात की जाए तो यहां 15 लाख 36 हजार तीर्थयात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए। धामी ने कहा कि हमारी सरकार का उद्देश्य सभी पौराणिक मंदिरों को संवारना और उसको पर्यटन से जोड़ना है। प्रधानमंत्री ने देश की सांस्कृतिक विरासत को पुनस्र्थापित किया है, उनके विजन के अनुरूप केदारनाथ व बदरीनाथ धाम का पुनर्विकास किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धार्मिक स्थलों पर आने वाले तीर्थयात्रियों को स्थानीय उत्पादों को खरीद पर 5 प्रतिशत खर्च करने के लिए अपील की है। आने वाले समय में हम स्थानीय उत्पादों के बिक्री की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। प्रधानमंत्री ने बीते वर्ष 21 अक्टूबर को बदरीनाथ धाम स्थित माणा गांव में वोकल फॉर लोकल का जिक्र करते हुए देशवासियों से आग्रह किया कि जहां भी जाएं एक संकल्प करें कि यात्रा पर जितना भी खर्च करते हैं उसका कम से कम 5 प्रतिशत वहां के स्थानीय उत्पाद खरीदने पर खर्च करें। इन सारे क्षेत्रों में इतनी रोजी रोटी मिल जायेगी जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। ऐसे में अब भविष्य को देखते हुए चारधाम यात्रा में स्थानीय उत्पादों को भी बड़ा मार्केट मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। मानस खंड कॉरीडोर के मास्टर प्लान का काम भी जल्द ही शुरू किया जाएगा। बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के निर्देशों के क्रम में शीतकालीन धार्मिक यात्रा को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। एतिहासिक व पौराणिक महत्व के तीर्थ स्थलों में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए कार्य किया जा रहा है ताकि शीतकाल में श्रद्धालु इन स्थलों की यात्रा कर सकें।
महिला समूहों ने प्रसाद बेचकर कमाए 70 लाख रुपये
चारधाम यात्रा में जहां इस बार यात्रियों के सारे रिकॉर्ड टूट गए, वहीं चारधाम यात्रा महिला सशक्तीकरण की नई इबारत लिख रही है। अकेले केदारनाथ धाम की यात्रा इस बार जिले की महिलाओं को सौगात दे गई। इस वर्ष रिकॉर्ड 19 लाख 60 हजार से ज्यादा श्रद्धालु बाबा केदारनाथ धाम के दर्शनों को पहुंचे जिसका सीधा फायदा स्थानीय महिलाओं की आजीविका को हुआ है। दरअसल महिला स्वयं सहायता समूहों ने इस यात्रा सीजन में 70 लाख रुपए का कारोबार किया, जिसमें से 65 लाख का तो केवल प्रसाद ही बेच डाला। इससे 500 महिलाओं को लगभग छह महीने तक रोजगार का अवसर मिला। केदारनाथ धाम में इस बार श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के चलते महिला समूहों के व्यवसाय को नई ऊंचाइयां मिली। केदारनाथ यात्रा से जुड़े विभिन्न महिला समूहों ने इस वर्ष 70 लाख रुपए से ज्यादा का व्यापार किया। अकेले चौलाई के प्रसाद से लगभग 65 लाख रुपए का व्यवसाय हुआ। इसके अलावा स्थानीय हर्बल धूप, चूरमा, बेलपत्री, शहद, जूट एवं रेशम के बैग आदि से 5 लाख रुपये की कमाई महिलाओं द्वारा की गई है। उत्तराखंड सरकार के महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के उत्थान को किए जा रहे प्रयासों को भी इससे बल मिला है। इसी क्रम में महिला समूहों द्वारा तैयार उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने सचिवालय परिसर में मिलेट बेकरी ऑउटलेट की भी शुरुआत की है।
रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ धाम और अन्य मंदिरों की यात्रा स्थानीय महिलाओं की आजीविका सुधारने में बडा योगदान देती है। जिले की महिलाएं बाबा केदारनाथ धाम के लिए स्थानीय उत्पादों से निर्मित प्रसाद तैयार करने के साथ ही यात्रा मार्ग पर रेस्तरां, कैफे संचालित कर रही हैं। इसके अलावा स्थानीय उत्पाद बेचकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। मुख्य विकास अधिकारी नरेश कुमार ने बताया कि बाबा केदारनाथ में दुनियाभर से आने वाले तीर्थ यात्रियों को चोलाई से निर्मित प्रसाद उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। साथ ही स्थानीय शहद, हर्बल धूप समेत कई उत्पाद महिलाएं तैयार कर यात्रियों को उपलब्ध करवा रही हैं। राज्य सरकार के निर्देशन में प्रशासन विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए प्रयासरत है। श्री केदारनाथ धाम में जिले की महिलाओं द्वारा तैयार प्रसाद का विपणन करने वाले केदारनाथ प्रसादम सहकारी संघ के सचिव भाष्कर पुरोहित ने बताया कि उन्होंने विभिन्न हैलीपैड और केदारनाथ मंदिर परिसर में तीर्थ यात्रियों को करीब 35 लाख रुपए का प्रसाद बेचा। बताया कि उनके पास जिलेभर की करीब 20 महिला स्वयं सहायता समूहों की 400 से ज्यादा महिलाओं द्वारा तैयार चौलाई के लड्डू, हर्बल धूप, चूरमा, बेलपत्री, शहद, जूट एवं रेशम के बैग आदि पहुंचता है। इसके अलावा गंगा जल के लिए पात्र एवं मंदिर की भस्म भी प्रसाद पैकेज का हिस्सा हैं। वहीं जनपद के काश्तकारों से 70 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से करीब 500 कुंतल चौलाई की खरीद की गई, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिला है।
गंगा दुग्ध उत्पादन संघ की अध्यक्ष घुंघरा देवी ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने करीब 106 कुंतल चैलाई के लड्डू एवं चूरमा तैयार कर केदारनाथ में बेचा है। पिछले छह महीनों में उन्होंने 65 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दिया, जिसमें 30 महिलाएं एनआरएलएम के तहत गठित समूहों के माध्यम से उनसे नियमित तौर पर जुड़ी हैं। पूरी यात्रा के दौरान उन्होंने करीब 25 लाख रुपए के लड्डू एवं चूरमा बेचा। समूह से जुड़ी महिलाओं को प्रतिदिन 300 रुपए मेहनताना देने के साथ ही समय-समय पर प्रशिक्षण भी देती हैं। वर्ष 2017 में प्रसाद योजना शुरू होने से पहले चौलाई का उत्पादन बेहद सीमित हो गया था जबकि अब इसके उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि वे 60 रुपए प्रति किलो के हिसाब से किसानों से चौलाई की खरीद करती हैं। इसके अलावा बेलपत्री का उत्पादन करने वाले किसानों को भी योजना का सीधा लाभ मिल रहा है। केवल बेलपत्री बेच कर महिलाओं ने करीब साढ़े तीन लाख रुपये की कमाई की है।