इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौशाला के निर्माण पर लगाई रोक
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुजफ्फरनगर में गौ अभ्यारण्य के निर्माण पर रोक लगा दी है। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने आवारा पशुओं के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए 70 करोड़ रुपये की लागत से गौशाला बनाने का प्रस्ताव दिया था। परियोजना के खाके पर काम कर रहे मुजफ्फरनगर के सांसद ने इसे ‘यूपी में सबसे बड़ा प्रोजेक्ट’ करार दिया था।
एक कृषि-आधारित फर्म डीएस एग्रो डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका के बाद स्टे ऑर्डर जारी किया गया। फर्म ने दावा किया है कि मुजफ्फरनगर के पुरकाजी प्रखंड के मेघा चंदन गांव में अभ्यारण्य के लिए निर्धारित 52 हेक्टेयर क्षेत्र में कुछ जमीन कंपनी की है।
परियोजना बजट राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था, और अदालत के स्थगन आदेश के बाद, मुजफ्फरनगर में जिला प्रशासन एक जवाबी हलफनामा दाखिल करने की तैयारी कर रहा है। बालियान ने कहा, हम इस मामले को कोर्ट में लड़ेंगे। अगर कोई जमीन के कुछ हिस्से पर मालिकाना हक का दावा कर रहा है तो इसकी जांच की जाएगी। मुजफ्फरनगर के किसान सरकार के साथ हैं और गौ अभ्यारण्य बनाना चाहते हैं। आने वाले दिनों में आप गौ अभ्यारण्य का निर्माण कार्य देखेंगे।
सदर के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) परमानंद झा ने कहा, डीएस ग्रुप ने कुछ तथाकथित मालिकों से जमीन खरीदी थी, जो कुछ सरकारी जमीन लीज पर दे रहे थे। हाईकोर्ट के जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की बेंच ने स्टे ऑर्डर जारी किया है और सुनवाई की अगली तारीख 15 मार्च होगी। हम जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे।”
बालियान ने जिले में गाय अभयारण्य परियोजना की घोषणा की थी और कहा था कि एक बार बन जाने के बाद इसमें 5,000 से अधिक आवारा पशुओं को रखा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अभयारण्य में जानवरों के लिए एक आधुनिक श्मशान घाट, एक बायोगैस संयंत्र और चारा इकट्ठा करने के लिए एक गोदाम की सुविधा होगी।
स्थानीय किसानों ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि वे अपनी कृषि भूमि सौंपने के इच्छुक नहीं हैं। किसानों के दावों को खारिज करते हुए एसडीएम ने कहा, पूरी जमीन सरकार की है। किसानों को कई बीघे जमीन लीज पर दी गई थी और लीज की अवधि सालों पहले खत्म हो चुकी है।