प्रकृति ने मानव जीवन को अनेक उपहार दिए हैं। वनस्पतियों के रूप में प्राप्त ये उपहार वरदान स्वरूप हैं। प्रकृति का ऐसा ही एक औषधीय पौधा है एलोवेरा। एलोवेरा को घृतकुमारी भी कहा जाता है। इसकी पत्तियां कैंसर जैसे असाध्य रोग को मात देने का दावा करती है। एलोवेरा की खास बात है कि यह एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक के रूप में काम करता है। एलोवेरा शरीर में जाकर खराब सिस्टम को ठीक करता है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता।
कैसा होता है एलोवेरा
एलोवेरा में कई गुण है, इसमें 75 प्रतिशत पानी, 70 तरह के मिनरल, एंजाइंम्स, प्रोटीन, एमिनो एसिड और विटामिन होते हैं। इस पौधे के पत्ते सीधे जमीन से ही निकलते हैं। यह 2 से 3 फीट लम्बे और 3 से 4 इंच चौड़े होते हैं। इसके दोनों ओर नुकीले कांटे होते हैं। इसके पत्ते गहरे हरे रंग के मोटे, चिकने और गूदेदार होते हैं। जिन्हें काटने या छीलने पर घी जैसे गुदा (जैल) निकलता है। इसलिए इस पौधे को घृतकुमारी व घी ग्वार भी कहा जाता है।
कैंसर में फायदेमंद है एलोवेरा
एलोवेरा की पत्तियों का इस्तेमाल औषधि के साथ-साथ सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है। अगर कैंसर व सोराइसिस के मरीज तीन माह तक एलोवेरा का जूस पीएं तो इसका उनके शरीर पर अच्छा असर देखने को मिलता है। एलोवेरा में कैंसररोधी तत्व पाए जाते हैं जो कि कैंसर की कोशिकाओं को बढऩे से रोकते हैं। कैंसर रोगियों के लिए रोज सुबह शाम 50 ग्राम एलोवेरा का जूस पीना लाभकारी होता है। एलोवेरा के जूस का नियमित सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बड़ाता है। इससे कैंसर ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।
इस दौरान रोगी को केला, पपीता, अंकुरित चना व हरी सब्जियां ले सकते हैं। कैंसर के उपचार में आयुर्वेदिक व प्राकृतिक चिकित्सा काफी लाभदायक होती है। कैंसर जैसे असाथ्य रोग में एलोवेरा जैल का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है। ऐसा देखा गया है कि एलोवेरा में निहित औषध तत्व उन कैंसरग्रस्त कोशिकाओं की भी रोकथाम कर लेते है जिन्हें कीमोथैरेपी भी रोक नहीं पाती। कैंसर के इलाज में जब अंग्रेजी दवाएं काम नहीं करती तो ऐसे में एलोवेरा का सेवन अत्यंत लाभकारी होता है। ऐसे में ऐलोवेरा कैंसर के इलाज में काफी मददगार साबित होता है। सिर्फ एलोवेरा या दवाएं देने के बजाय अगर एलोवेरा और हल्की मात्रा में कैंसर रोधक दवाएं साथ-साथ दी जाएं तो कैंसर कोशिकाओं पर काफी कारगर असर पड़ता है।