आमने-सामने होंगे अंबानी-अडानी, 19900 करोड़ का है ये मामला
नई दिल्ली: रिलायंस इंडस्ट्रीज और अडानी एंटरप्राइजेज यानी मुकेश अंबानी और गौतम अडानी आने वाले दिनों में आमने-सामने दिखाई देंगे. केंद्र सरकार ने देश में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा प्लान बनाया है. इन दोनों ही ग्रुप ने इसमें इंटरेस्ट दिखाया है और इसके लिए बिड लगाने वाली 21 कंपनियों में से एक हैं.
दरअसल भारत सरकार देश के भीतर ही इलेक्ट्रोलाइजर्स बनाने के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड ग्रांट दे रही है. ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एनर्जी ट्रांजिशन लक्ष्य का हिस्सा है. मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज और गौतम अडानी की अडानी एंटरप्राइजेज ने इसके लिए अपनी बोलियां लगाई हैं.
सोलर एनर्जी कॉर्प ऑफ इंडिया ने एक बयान में कहा है कि रिलायंस और अडानी के अलावा ओहमियम ऑपरेशंस, जॉन-कॉकरिल ग्रीनको, वारी एनर्जीस लिमिटेड और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड भी देश में इलेक्ट्रोलाइजर्स बनाने की इच्छा रखती हैं.
इलेक्ट्रोलाइजर्स का उपयोग ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में होता है. इसकी मदद से पानी (H2O) के अणुओं को तोड़कर हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाता है. ये एक नवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत है और पर्यावरण के लिए बहुत लाभकारी. इलेक्ट्रोलाइजर्स बनाने के लिए सबसे बड़ी बोली अडानी ने लगाई है. वह 600 मेगावाट क्षमता के इलेक्ट्रोलाइजसर्स बनाएगी, इसमें से करीब आधे लोकल टेक्नोलॉजी से तैयार होंगे.
भारत सरकार ने 2030 तक देश में 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन के वार्षिक उत्पादन का लक्ष्य रखा है. अडानी ग्रुप देश में ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर में सबसे ज्यादा इंवेस्टमेंट कर रहा है. ग्रीन हाइड्रोजन ऑयल रिफाइनरीज, फर्टिलाइजर प्लांट, स्टील उद्योग और शिपिंग जैसे हेवी इंडस्ट्रीज में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल हो सकता जो कार्बन उत्सर्जन को काफी नीचे लाने में मदद करेगा.
ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़े एक और इंसेंटिव के लिए 14 कंपनियों ने बिड्स लगाई है. इसमें रिलायंस, अडानी, अवाडा ग्रुप, टोरेंट पावर और सेंबकॉर्प इंडस्ट्रीज शामिल हैं. भारत सरकार ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रोलाइजर्स के उत्पादन के लिए 2.4 अरब डॉलर (करीब 19,930 करोड़ रुपए) का ग्रांट देने जा रही है.