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बांग्लादेश के द्वीप पर अमेरिका की नजर, बनाना चाहता है नौसैनिक अड्डा, भारत की भी बढ़ेगी चिंता

ढाका: भारत के अहम पड़ोसी बांग्लादेश में अमेरिका अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका की नजर अब भारत के करीब स्थित बांग्लादेश के द्वीप सेंट मार्टिन पर है। इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में बांग्लादेश की सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग की वित्त और योजना मामलों की उपसमिति के सदस्य स्क्वाड्रन लीडर (सेवानिवृत्त) सदरुल अहमद खान ने कहा है कि सेंट मार्टिन द्वीप का अधिग्रहण करने के लिए अमेरिका की ओर से लगातार कोशिश की जा रही है। अमेरिका इस द्वीप पर एक नया नौसैनिक अड्डा बनाना चाहता है। बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने इस मुद्दे को कई मंचों से बार-बार उठाया है, जिससे ऐसी योजनाओं के लिए उनकी पार्टी के विरोध को भी ताकत मिली है।

अमेरिका ने लंबे समय से बांग्लादेश के साथ वैध सैन्य संबंध बनाए रखा है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच नियमित यात्राएं और संयुक्त अभ्यास भी होते रहे हैं। दोनों देशों के बीच सहयोग मुख्य रूप से शांति स्थापना संचालन, मानवीय सहायता, सैन्य अभ्यास और नागरिक शक्ति को सहायता पर केंद्रित हैं, जो सभी द्विपक्षीय सहयोग के स्वीकार्य ढांचे के भीतर हैं। हालांकि सेंट मार्टिन द्वीप पर नौसैनिक अड्डा स्थापित करने का प्रस्ताव इन शांतिपूर्ण और सहकारी गतिविधियों से अलग है और दोनों देशों के बीच रिश्तो में तनाव की वजह बन सकता है।

सेंट मार्टिन द्वीप पर अमेरिकी नौसैनिक अड्डा बनाने के खिलाफ शेख हसीना ने सख्त रुख दिखाया है। हसीना का रुख बांग्लादेश की संप्रभुता और स्थिरता के लिए उनकी गहरी चिंता को दर्शाता है। अपने क्षेत्र में विदेशी सैन्य अड्डे की अनुमति देने से बांग्लादेश की स्वायत्तता और उसके रणनीतिक हितों के लिए सीधा खतरा पैदा हो सकता है। दक्षिण एशिया के लिए इस द्वीप का एक व्यापक प्रभाव है। क्षेत्र में शक्ति संतुलन की जो स्थिति है, उसे देखते हुए किसी भी प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठान से तनाव बढ़ सकता है।

भूराजनीतिक दृष्टिकोण से सेंट मार्टिन में अमेरिकी नौसैनिक अड्डे की स्थापना से क्षेत्रीय तनाव बढ़ने की संभावना है, खासकर पड़ोसी भारत के साथ ये तनाव बढ़ा सकता है । भारत, दक्षिण एशियाई राजनीति में अहम देश होने के साथ ही बांग्लादेश का करीबी सहयोगी है। भारत और बांग्लादेश की सीमाओं के बेहद करीब अमेरिकी सैन्य अड्डे की मौजूदगी को संदेह और चिंता की दृष्टि से देख सकता है। इससे संभावित रूप से क्षेत्र में हथियारों की होड़ और सैन्य निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। इससे बांग्लादेश और भारत दोनों जिस शांति और स्थिरता को बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं, वह कमजोर हो सकती है।

अमेरिकी प्रस्ताव पर बांग्लादेश की सत्तारूढ़ अवामी लीग का कड़ा विरोध क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के प्रति व्यापक प्रतिबद्धता में निहित है। नौसैनिक अड्डे की स्थापना को अस्वीकार करके बांग्लादेश अपनी संप्रभुता और शांतिपूर्ण दक्षिण एशिया के प्रति अपने समर्पण का दावा कर रहा है। बांग्लादेश की कोशिश सहयोगात्मक और शांतिपूर्ण सैन्य गतिविधियों पर है, जिससे क्षेत्र के रणनीतिक संतुलन को खतरा ना हो।

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