भारत को इस साल ‘विशेष निगरानी सूची’ में नहीं रखा जाएगा-अमेरिका
नई दिल्ली: भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अमेरिका ने बड़ा बयान दिया है. अमेरिका ने साफ करते हुए कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता के लिए भारत को इस साल ‘अत्यंत चिंताजनक स्थिति वाले देश’ या ‘विशेष निगरानी सूची’ में नहीं रखा जाएगा. जबकि चीन, पाकिस्तान और म्यांमार समेत 12 देशों को अमेरिका ने इस सूची में शामिल करने की घोषणा की है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और वहां कई धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं.
नेड प्राइस का बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन, पाकिस्तान और म्यांमार समेत 12 देशों को ‘अत्यंत चिंताजनक स्थिति वाले देश’ की सूची में शामिल करने की घोषणा की है. वहीं अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि क्यूबा और निकारगुआ को इस सूची में पहली बार शामिल किया गया है.
ब्लिंकन ने कहा था कि दुनियाभर की सरकारें और गैर-सरकारी ताकतें लोगों को उनके धर्म और विश्वास के आधार पर प्रताड़ित करने के साथ-साथ धमकाती और जेल भेज देती है. अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि धर्म के नाम पर कई बार लोगों की हत्या भी कर दी जाती है.
बाइडन प्रशासन का कहना है कि यह सूची राष्ट्रीय सुरक्षा और दुनिया भर में मानवाधिकारों के मूल्यों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है. अमेरिकी सरकार ने यह रिपोर्ट 1998 के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत जारी की है.
आस्ट्रेलिया टुडे के अनुसार, इस अधिनियम के तहत अमेरिका को दुनिया के सभी देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की वार्षिक समीक्षा करने और उसके आधार पर चिंताजनक स्थिति वाले देशों की लिस्ट जारी करनी होती है.
भारत को प्रोत्साहित करता रहेगा अमेरिकाः अमेरिकी विदेश मंत्रालय
भारत को इस सूची में नहीं शामिल करने के सवालों का जवाब देते हुए नेड प्राइस ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और वहां कई धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं. लेकिन हमारे वैश्विक धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में भारत को लेकर कुछ चिंता जताई गई है.
मंगलवार को प्रेस कांफ्रेस के दौरान प्राइस ने कहा कि सूची में शामिल सभी देशों समेत भारत पर भी हमारी नजर है. उन्होंने कहा कि बाइडन सरकार भारत में धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार को प्रोत्साहित करती रहेगी.
भारत हमेशा से कहता रहा है कि देश में धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए भारतीय संविधान पर्याप्त अधिकार देता है.
भारत और अमेरिका धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर प्रतिबद्ध
नेड प्राइस ने कहा कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत और अमेरिका धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए दोनों देशों के अधिकारी आपसी तालमेल बनाए रखेंगे. प्राइस ने कहा, “इससे पहले भी हम दोनों देशों ने साथ काम किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत हम लोगों को संदेश दे सकते हैं कि हमारा लोकतंत्र लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकता है.”
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमें धर्म की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए मानवाधिकारों को सम्मान देते हुए अपने मूलभूत ढांचे को बनाए रखना होगा.
भारत ने रिपोर्ट को बताया था पक्षपातपूर्ण
भारत सरकार ने जून 2022 में भी इस तरह की रिपोर्ट को नकारते हुए कहा था कि यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वोट बैंक की राजनीति की जा रही है. उन्होंने कहा था कि इस रिपोर्ट में भारत को लेकर पक्षपाती और भारत के खिलाफ प्रेरित इनपुट को शामिल किया गया है.
अरिंदम बागची ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय को इस तरह की रिपोर्ट बनाने में पक्षपातपूर्ण इनपुट लेने से बचने की सलाह दी. भारत हमेशा इस बात पर जोर देता रहा है कि देश में धार्मिक स्वतंत्रता के लिए संविधान से पर्याप्त अधिकार प्रदान किए गए हैं.