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विरोध के बीच कंपनी संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश

नयी दिल्ली। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को विपक्ष के कड़े विरोध के बीच कंपनी संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किया और कहा कि इस संशोधन के जरिए कारोबार में सुगमता लाने की कोशिश की जा रही है ताकि उद्योग का विकास हाे सके।

श्री ठाकुर के इस विधेयक को सदन में पेश करने के दौरान बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि पिछली बार लोकसभा में स्थायी समिति ने इस कानून में 100 से अधिक संशोधन के सुझाव दिये थे और इस कानून में पिछले वर्ष सितंबर में संशाेधन किया गया था तो अब इतनी जल्दी फिर से इसमें संशोधन की क्या आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि नए विधेयक में कुछ अपराधों को समाप्त किया जा रहा है और देश भी देख रहा है कि निजी क्षेत्र के बड़े बैंक डूब रहे है और कंपनियां दिवालिया हो रही है , तो ऐसे में आम आदमी की गाढ़ी कमाई को बर्बादी से रोकने की सरकार की क्या योजना है , इस पर कोई विचार नहीं है लेकिन नए विधेयक में ऐसे आर्थिक अपराधाें को समाप्त किया जा रहा है और उन पर लगाई जाने वाली पेनेल्टी काे भी कम किया जा रहा है।

उन्होंने अपना दूसरा विरोध इस बात को लेकर जताया कि इसके जरिए उत्पादक कंपनियों को बढ़ावा दिया जा रहा है और इन कंपनियों के कारण छोटे किसानों को नुकसान होगा। जब इसमें संशोधन पिछले वर्ष ही कर दिए गए थे तो अब इसे क्याें पेश किया जा रहा है जबकि यह विधेयक पहले ही स्थायी समिति को भेज दिया गया था।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कंपनी संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार बड़े कॉरपोरेट घरानोें और औद्योगिक कंपनियों से अधिक प्रभावित है और हमने हाल ही यस बैंक का हाल भी देखा है जिसमें आम लोगों के खून पसीने की कमाई डूब गई है लेकिन इस विधेयक के जरिए इस तरह के अपराधों को माफ करना कहां तक उचित है। सरकार “ इज ऑफ डूइिंग बिजनेस” के नाम पर कॉरपोरेट घरानों को बढ़ावा दे रही है। पिछले दशक में सबने सत्यम कंप्यूटर का हाल भी देख लिया था।

विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इसमें पहले भी कईं बार संशोधन किए जा चुके हैं और अब सरकार इसके जरिए कॉरपोरेट जगत को लूट की आजादी दे रही है । ऐसा लगता है कि यह सरकार “कॉरपोरेट जगत की है और कॉरपोरेट जगत के लिए है”। उन्होंने कहा कि सामाजिक जवाबदेही सभी कंपनियाें की जिम्मेदारी है लेकिन कोई भी कंपनी इस जिम्मेदारी काे पूरी तरह नहीं निभा रही है और आम लोगों का शोषण किया जा रहा है। इस तरह के संशोधन के जरिए कॉरपोरेट जगत काे फलने फूलने की आजादी दी जा रही है और जिस तरह से वित्तीय संस्थानों के डूबने का काम शुरू हो गया है उसे देखते हुए अब लोगों को बैंकों के “नो योर कस्टमर – के बजाए – नो योर बैंक” पर अधिक जोर देना चाहिए।

इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधेयक को सदन में पुरस्थापित किए जाने की अनुमति दे दी और वित्त राज्य मंत्री ने विपक्षी सदस्यों की आपत्तियों को स्पष्ट करते हुए कहा कि इसके जरिए किसी प्रावधान को“ डिक्रिमैनेलाइज” नहीं किया जा रहा है बल्कि इसमें “ तकनीकी और प्रकियागत खामियाें ” को दूर करने तथा एनसीएलटी के बोझ को कम करने का प्रयास किया गया है और न ही किसी कंपनी की सामाजिक जवाबदेही को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हम इसके जरिए कारोबार करने में सुगमता को अनुमति दे रहे हैं ताकि उद्योग जगत का विकास किया जा सके और इसी को देखते हुए ऐसे संशोधन जरूरी है।

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