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तनाव के बीच ताइवान ने सबके लिए अनिवार्य की मिलिट्री ट्रेनिंग, नहीं चलेगा कोई बहाना

नई दिल्ली: विदेशी नेताओं के लगातार ताइवान दौरे से क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है. चीन इन दौरों से बुरी तरह से भड़का हुआ है और कई बार इस मामले में धमकी भी दे चुका है. साथ ही ताइवान पर दबाव बनाने के लिए चीनी सैन्य विमान और नौसैनिक जहाज भी उसके क्षेत्र में मंडराते दिखे. दूसरी ओर ताइवान भी माकूल जवाब देने की रणनीति पर कायम है. अब खबर है कि ताइवान में सभी युवाओं को अनिवार्य सैन्य ट्रेनिंग दी जाएगी.

ताइवान से टीवी9 भारतवर्ष की ओर से जानकारी दी गई कि क्षेत्र में तनाव के बीच ताइवान में सभी युवाओं को अनिवार्य सैन्य ट्रेनिंग दी जाएगी. ताइवान सरकार की ओर से सेना में भर्ती होने के लिए शारीरिक अनिवार्यता में भी अहम बदलाव भी कर दिए गए हैं. बड़ा बदलाव यह है कि युवकों की लंबाई मामले में छूट दी गई है.

बीमारी का बहाना नहीं चलेगा
पहले सेना में भर्ती के लिए 157 सेंटीमीटर लंबाई जरूरी हुआ करती थी जिसे घटाकर 155 सेंटीमीटर कर दिया गया है. नए बदलाव के बाद यह तय कर दिया गया है कि सेना में भर्ती के लिए किसी तरह की बीमारी का बहाना नहीं चलेगा. मेडिकल बोर्ड ही इस संबंध में जांच करेगा कि मेडिकल आधार पर सेना की ट्रेनिंग से किसे छूट देनी है और किसे नहीं.

सेना की नॉर्मल ट्रेनिंग का समय भी चार महीने से ज्यादा होगा. इस सैन्य ट्रेनिंग के दौरान लोगों को हथियार चलाने की पूरी ट्रेनिंग दी जाएगी. साथ ही चीन से युद्ध के हालात में आम लोग चीनी सेना का सही तरीके से मुकाबला कर सकें उस हिसाब की ट्रेनिंग दी जाएगी. इस बीच, अमेरिका के इंडियाना प्रांत के गवर्नर एरिक होलकोम्ब ने सोमवार को ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के साथ मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब अमेरिकी नेताओं की हाल ही में दो हाई-प्रोफाइल यात्रा हुई थी. इन यात्राओं को लेकर चीन ने नाराजगी जतायी थी और चीन की सेना ने सैन्य अभ्यास किया था.

होलकोम्ब के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, एरिक होलकोम्ब चार दिवसीय यात्रा पर रविवार शाम ताइवान पहुंचे थे. यह यात्रा आर्थिक आदान-प्रदान पर ध्यान केंद्रित होगी, विशेष रूप से सेमीकंडक्टर के मामले में. इस महीने की शुरुआत में प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान की यात्रा पर आई थीं. उसके बाद अमेरिकी कांग्रेस का एक नया प्रतिनिधिमंडल ताइवान के दौरे पर आया था.

चीन स्व-शासित द्वीप को अपना क्षेत्र बताता है और विदेशी सरकारों के साथ किसी भी आदान-प्रदान को अपने दावे के उल्लंघन के रूप में देखता है. राष्ट्रपति साई ने बैठक से पहले भाषण में तनाव को स्वीकार किया और आगे के आदान-प्रदान का स्वागत किया. उन्होंने कहा, ताइवान जलडमरूमध्य में और उसके आसपास चीन की ओर से सैन्य खतरों का सामना कर रहा है. इस समय, लोकतांत्रिक सहयोगियों को एकसाथ खड़ा होना चाहिए और सभी क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए.

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