नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा नेतृत्व ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। हिमाचल प्रदेश में साल के आखिर में चुनाव होगा, जबकि कर्नाटक में अगले साल के पूर्वार्द्ध में चुनाव होगा। पार्टी के वरिष्ठ नेता व गृह मंत्री अमित शाह ने एक दिन पहले बेंगलुरु में कर्नाटक की कोर कमेटी के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की है। वहीं, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दिल्ली में हिमाचल के नेताओं के साथ बैठक की है। कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकारें हैं। इन दोनों राज्यों में उसके सामने रणनीतिक दिक्कत भी उभर रही है।
हिमाचल प्रदेश में बीते एक लोकसभा और तीन विधानसभा के उपचुनाव में पार्टी को हार मिली थी, जबकि कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन के बाद भी सत्ता और संगठन में बेहतर समन्वय नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि गृह मंत्री अमित शाह ने खुद कर्नाटक जाकर कोर कमेटी की बैठक कर विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की है। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय नेतृत्व ने हिमाचल और गुजरात विधानसभा के साथ जल्द चुनाव कराने के सुझाव को खारिज कर दिया है। इसके बजाय पार्टी वहां पर सत्ता और संगठन में जरूरी बदलाव कर समय पर ही चुनाव कराएगी।
कर्नाटक में जल्द होगा मंत्रिमंडल विस्तार
सूत्रों का कहना है कि सबसे पहले कर्नाटक में मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा, जिसमें सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखा जाएगा। इसके बाद प्रदेश संगठन में बदलाव किए जाएंगे। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष नलिन कटील ने 2019 में येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली थी। लेकिन, येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से हटने और बसवराज बोम्मई के मुख्यमंत्री बनने के बाद सत्ता और संगठन में समन्वय की कमी आई है। इसे देखते हुए अध्यक्ष पद पर भी बदलाव होने की संभावना है।
हिमाचल में प्रभावी रणनीति पर जोर
हिमाचल प्रदेश में भाजपा की दिक्कत अपने भीतर से ज्यादा विपक्षी कांग्रेस की तरफ से है। चूंकि यह पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह राज्य है, ऐसे में बहुत सारे निर्णय नड्डा खुद ही करेंगे। नड्डा ने शुक्रवार को प्रदेश अध्यक्ष और संगठन मंत्री के साथ बैठक भी की है। इसमें उपचुनावों में पार्टी को मिली हार से लेकर अब तक की स्थितियों की व्यापक समीक्षा की गई है। चूंकि, चुनाव साल के आखिर में होने हैं, ऐसे में नेतृत्व परिवर्तन शायद ही हो, लेकिन संगठन के स्तर पर कुछ बदलाव हो सकते हैं। फिलहाल, पार्टी नेतृत्व बदलाव से ज्यादा चुनावी रणनीति को चाक-चौबंद करने और उस पर प्रभावी अमल पर ज्यादा जोर दे रही है।
कांग्रेस को मौका नहीं देगी भाजपा
कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में भाजपा का कांग्रेस से लगभग सीधा मुकाबला है। हालांकि, कर्नाटक में जनता दल (एस) का भी प्रभाव है, लेकिन कांग्रेस और जनता दल (एस) को भाजपा एक ही साथ में रखकर देख रही है। ऐसे में इन दोनों राज्यों में लेकर भाजपा सतर्कता भी बरत रही है। क्योंकि वह नहीं चाहती है कि उसकी थोड़ी सी भी कमी से कांग्रेस को कोई मौका मिले, जिससे 2024 में कांग्रेस मुक्त भारत में चुनाव कराने की उसकी योजना पर कोई विपरीत प्रभाव पड़े।