AN-32 हादसा: घने जंगलों में फंसी शवों को निकालने वाली रेस्क्यू टीम
भारतीय वायुसेना का विमान एएन-32 तीन जून को दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। इस हादसे में शहीद हुए जवानों के शव को निकालने के लिए गए बचावकर्मी अभी तक वापस नहीं लौट पाए हैं। यह दल अरुणाचल के घने जंगलों से घिरे बेहद दुर्गम इलाके में पैदल चलकर घटनास्थल तक पहुंचे जहां पर विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। इस इलाके में मौसम लगातार बिगड़ता जा रहा है। जिसकी वजह से बचाव दल को एयरलिफ्ट करने के लिए मौसम में सुधार आने का इंतजार किया जा रहा है। तीन जून को विमान ने असम के जोरहाट से उड़ान भरी थी और अरुणाचल प्रदेश में मेनचुका के पास लापता हो गया था। यह स्थान चीन सीमा के पास है।
विमान में आठ क्रू मेंबर सहित 13 लोग सवार थे। सभी के शव 20 जून को लिपो से 13 किलोमीटर उत्तर समुद्रतल से 12,000 फीट की ऊंचाई पर बरामद हुए थे। विमान के मलबे की तलाश के लिए वायुसेना ने ऑपरेशन चलाया था। कड़ी मशक्कत के बाद विमान का मलबा अरुणाचल की घाटियों में जंगल में दिखाई दिया था।
इसके बाद बचाव दल की 12 सदस्यीय टीम को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया था। ताकि शहीदों के शव और विमान के ब्लैक बॉक्स की बरामदगी की जा सके। जिस स्थान पर विमान का मलबा दिखाई दिया वहां पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं था। जिसके कारण बचाव दल को विमान के जरिए घटनास्थल के नजदीक पहुंचाया गया।
दुर्गम प्राकृतिक संरचना वाले इस क्षेत्र से जवानों के पार्थिव शरीर की बरामदगी के लिए पर्वतारोहियों की मदद लेनी पड़ी थी। इस अभियान के दौरान कई बार खराब मौसम ने व्यवधान उत्पन्न किया। खराब मौसम के कारण कई बार तलाशी अभियान रोका गया। बचाव कार्य में चीता और एएलएच हेलिकॉप्टर्स शामिल थे।