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आनंद शर्मा ने इस्तीफा देने के बाद कहा, मेरे पास कोई चारा नहीं था

नई दिल्ली । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, (जिन्होंने आगामी हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी पैनल के प्रमुख का पद छोड़ दिया है) ने रविवार को कहा कि उनके पास निरंतर अपमान और बहिष्कार के कारण इस्तीफा देने के अलावा कोई चारा नहीं था। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि वह पार्टी का सदस्य बने रहेंगे। “मैंने हिमाचल चुनाव के लिए कांग्रेस की संचालन समिति की अध्यक्षता से भारी मन से इस्तीफा दिया है। यह दोहराते हुए कि मैं आजीवन कांग्रेसी रहूंगा और अपने विश्वासों पर ²ढ़ हूं।”

उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, “मेरे खून में दौड़ने वाली कांग्रेस की विचारधारा के लिए प्रतिबद्धता है, इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। एक स्वाभिमानी व्यक्ति के रूप में- मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा था।” शर्मा के करीबी सूत्रों ने कहा कि उन्होंने राज्य में पार्टी इकाई के कामकाज से दरकिनार किए जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना पत्र भेजा है।

पार्टी के राज्य प्रभारी राजीव शुक्ला ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है और कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि उन्हें इस बारे में पता नहीं है। शर्मा का इस्तीफा गुलाम नबी आजाद के पार्टी के जम्मू-कश्मीर अभियान समिति के प्रमुख के पद से इस्तीफा देने के बाद आया है। आजाद के साथ शर्मा जी-23 समूह के उन प्रमुख नेताओं में भी हैं, जिन्होंने पार्टी में व्यापक सुधार की मांग की है। कांग्रेस अध्यक्ष ने 26 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश राज्य कांग्रेस प्रमुख, सीएलपी नेता और अभियान समिति के अध्यक्ष को नियुक्त किया था। पार्टी ने आठ समितियों की भी घोषणा की थी, जिसमें शर्मा को संचालन समिति का अध्यक्ष और आशा कुमारी को संयोजक बनाया था।

शर्मा के कार्यालय के करीबी सूत्रों द्वारा साझा किए गए एक संक्षिप्त नोट में कहा गया है कि पत्र में लिखा गया है, “समितियों की बहुलता और कार्यों के ओवरलैपिंग को कार्यात्मक उद्देश्यों के लिए स्पष्टता की आवश्यकता है। मैंने जीएस (महासचिव) संगठन और एआईसीसी प्रभारी से अनुरोध किया था कि संचालन समिति की भूमिका को स्पष्ट करने के लिए कहा था।”

“एचपीसीसी के कोर ग्रुप और चुनाव रणनीति और तैयारियों पर वरिष्ठ नेताओं की बैठकें दिल्ली और शिमला दोनों जगह हुई हैं। चुनाव की तैयारियों के लिए 20 जून को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, कांग्रेस विधायक दल के नेता और अध्यक्ष अभियान समिति तथा अन्य समितियों सहित वरिष्ठ नेताओं की बैठकें आयोजित की गईं। संचालन समिति के अध्यक्ष को किसी भी बैठक के लिए न तो सूचित किया गया और न ही आमंत्रित किया गया।”

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