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अंकिता भंडारी हत्याकांड: आखिरकार हुई ‘सच की जीत’, तीन साल बाद मिला इंसाफ

कोटद्वार। उत्तराखंड के यमकेश्वर क्षेत्र में हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार की एडीजे रीना नेगी की अदालत ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अदालत ने इस बहुचर्चित मामले के तीनों आरोपियों पुलकित आर्या, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। मुख्य आरोपी पुलकित आर्या पर लगाए गए सभी चार गंभीर आरोप हत्या, साक्ष्य मिटाना, छेड़छाड़ और अनैतिक गतिविधियों के लिए उकसाना सिद्ध हो चुके हैं।

क्या था पूरा मामला?

सितंबर 2022 में पौड़ी जिले के गंगा भोगपुर स्थित वनंत्रा रिजॉर्ट में 19 वर्षीय अंकिता भंडारी बतौर रिसेप्शनिस्ट काम करती थीं। अंकिता अचानक लापता हो गई थीं और एक हफ्ते की तलाश के बाद उसका शव चीला नहर से बरामद हुआ। जांच में सामने आया कि रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य और उसके दो साथियों ने मिलकर अंकिता को जानबूझकर नहर में धक्का दे दिया था। इस जघन्य अपराध के पीछे का कारण सामने आया कि अंकिता ने रिजॉर्ट में आने वाले वीआईपी मेहमानों को “एक्स्ट्रा सर्विस” देने से इनकार कर दिया था। बस यही बात तीनों आरोपियों को नागवार गुज़री और उन्होंने उसकी हत्या कर दी।

प्रदेश में मचा था भारी हंगामा

अंकिता की मौत के बाद पूरे उत्तराखंड में गुस्से की लहर दौड़ गई थी. जगह-जगह प्रदर्शन हुए और सरकार पर दबाव बढ़ा. इस केस की संवेदनशीलता को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने DIG पी. रेणुका देवी के नेतृत्व में एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया, जिसने कई महीनों तक बारीकी से जांच कर केस को कोर्ट तक पहुंचाया.

परिवार की मांग: फांसी हो सज़ा

अंकिता भंडारी के परिवार का कहना है कि उन्हें तभी पूरी तरह से न्याय मिलेगा, जब तीनों दोषियों को फांसी की सज़ा दी जाएगी. परिवार को डर है कि अगर दोषियों को सख्त सज़ा नहीं दी गई, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए गलत संदेश होगा.

रसूखदारों पर था संदेह, लेकिन न्याय ने दिखाई ताकत

मामले की शुरुआत से ही संदेह जताया जा रहा था कि पुलकित आर्या का राजनीतिक रसूख उसे सजा से बचा सकता है। पुलकित के पिता विनोद आर्या उस समय भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए थे और राज्य में प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते थे। आरोप लगे कि मामले को दबाने की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन जांच एजेंसियों और कोर्ट की सक्रियता ने यह सिद्ध कर दिया कि कानून के सामने कोई भी बड़ा नहीं होता।

मुख्यमंत्री का सख्त आदेश, तेज जांच

घटना के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ तौर पर कहा था कि बेटियों के साथ अन्याय करने वाले किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा। इसके बाद 24 घंटे के भीतर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। SIT का गठन किया गया, जिसने जांच को तेजी से आगे बढ़ाया। 500 पेज की जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की गई। इस रिपोर्ट में 97 गवाहों का उल्लेख था, जिनमें से 47 को अदालत में पेश किया गया।

पुलकित पर ये थे गंभीर आरोप

मुख्य आरोपी पुलकित आर्या पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाना), 354ए (छेड़छाड़) और अनैतिक देह व्यापार अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था। कोर्ट ने सभी आरोपों को सही पाया और दोष सिद्ध करते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। उनके दो सहयोगी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को भी हत्या और साक्ष्य मिटाने के अपराध में दोषी माना गया।

एक फैसले ने जगाई उम्मीद

कोर्ट का यह फैसला सिर्फ एक हत्याकांड में न्याय नहीं है, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है। यह उन लाखों परिवारों के लिए उम्मीद की किरण है, जिनकी बेटियां संघर्ष करके अपने सपनों को सच करना चाहती हैं। यह निर्णय बताता है कि न्याय मिल सकता है, भले ही आरोपी कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो। अंकिता भंडारी की हत्या ने पूरे देश को झकझोरा था, और अब यह फैसला उन सभी आवाज़ों की जीत है, जो इंसाफ के लिए उठी थीं।

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