सपा की एक और सूची जारीः दलबदलुओं को परंपरागत सीटों से टिकट
लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने गुरुवार को एक और सूची जारी कर दी। 56 प्रत्याशियों वाली नई सूची में जहां सपा के कई कद्दावर नेताओं के नाम हैं, वहीं दूसरे दलों से आए नेताओं को बड़ी संख्या में टिकट दिये गए हैं। लालजी वर्मा, रामअचल राजभर, दारा सिंह चौहान, रमाकांत यादव आदि को उनकी परंपरागत सीटों से उतारा गया है। सपा के पिछली बार जीते विधायकों को दोबारा टिकट दिया गया है। नई सूची में दस मुस्लिम और इतने ही यादवों का नाम है। एक दिन पहले ही सपा ने 39 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। इसमें केवल तीन यादव और एक मुस्लिम को ही टिकट दिया गया था। इस सूची में भी गैर यादव ओबीसी नेताओं को खास तवज्जो दी गई है। बड़ी संख्या में गैर यादवों को टिकट थमाया गया है। सपा के कद्दावर नेताओं में सबसे बड़ा नाम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी का है। रामगोविंद चौधरी को बलिया की बांसडीह सीट से टिकट दिया गया है।
ब्राह्मणों को साधने की कोशिश
तीसरी लिस्ट में ब्राह्मणों को भी साधने का प्रयास किया है। बहुजन समाज पार्टी छोड़कर सपा ज्वाइन करने वाले पूर्वांचल के सबसे बड़े ब्राह्मण चेहरे हरिशंकर तिवारी के बेटे को विनय शंकर तिवारी को चिल्लूपार से मैदान में उतारा है। विनय शंकर तिवारी के अलावा कई ऐसे नाम हैं जो ब्राह्मण हैं और अन्य दलों से छोड़कर सपा में आए हैं। मुलायम सिंह के साथ राजनीति की शुरुआत करने वाले वरिष्ठ समाजवादी को ब्राह्मण बाहुल्य देवरिया के पथरदेवा से ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी को भी टिकट दिया है। इसके अलावा बसपा आये राकेश पांडेय को अम्बेडकरनगर के जलालपुर से टिकट दिया है। बहराइच के महसी से केके ओझा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, भाटपाररानी से आशुतोष उपाध्याय, जौनपुर के बदलापुर सीट से बाबा दुबे को मैदान में उतारा हैं। पड़ोसी जिले गाजीपुर में जमानिया से ओमप्रकाश सिंह, जंगीपुर से वीरेंद्र यादव, चंदौली की सकलडीहा से विधायक प्रमुनाथ सिंह को टिकट दिया गया है। बाराबंकी की कुर्सी सीट से पूर्व मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को उतारा गया है। बीच में राकेश के चुनाव नहीं लड़ने की बातें आई थीं।
उपचुनाव में धनंजय सिंह के वर्चस्व को चुनौती देकर सपा को जीत दिलाने वाले जौनपुर के मलहनी से जीते विधायक लकी यादव पर दोबारा भरोसा जताया गया है। आजमगढ़ की सीटों पर पुराने प्रत्याशियों को ही दोहराया गया है। आजमगढ़ की लालगंज से बेचई सरोज को टिकट दिया गया है। यहां की निजामाबाद सीट से एक बार फिर आलमबदी को उतारा गया है। 85 वर्षीय आलमबदी हो सकता है इस चुनाव में सबसे उम्रदराज प्रत्याशी हों। दूसरे दलों से आए नेताओं की बात करें तो मंत्री पद छोड़कर भाजपा से सपा में आए दारा सिंह चौहान को मऊ की घोसी सीट से उतारा गया है। अंबेडकर नगर की कटेहरी सीट से बसपा से सपा में आए लालजी वर्मा को टिकट दिया गया है। अंबेडकर नगर की अकबरपुर से भी बसपा से आए रामअचल राजभर को उतारा गया है। फूलपुर पवई से भाजपा के कद्दावर नेता कहे जाने वाले रमाकांत यादव को उतारा गया है। रामाकांत यादव ने 2014 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर मुलायम सिंह यादव को चुनौती दी थी।
बाराबंकी में मामला सुलझा
समाजवादी पार्टी बाराबंकी में मामला सुलझा लिया है। यहां की रामनगर सीट पर दो पूर्व मंत्रियों की दावेदारी थी। पूर्व मंत्री फरीद महफूज किदवई, अरविंद सिंह गोप और बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को अलग अलग सीट से मैदान में उतार दिया है। किदवई को रामनगर, दरियाबाद से गोप और कुर्सी विधानसभा से राकेश वर्मा का नाम तय किया गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के पुत्र व पूर्व मंत्री राकेश कुमार वर्मा मसौली से विधायक रह चुके हैं। गोप दो बार हैदरगढ़ व एक बार रामनगर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। रामनगर सीट से गोप व राकेश की दावेदारी के चलते यह सीट जिलेभर में चर्चा में थी। दोनों पूर्व मंत्रियों के समर्थक इस सीट के टिकट को जनपद का नेता तय करने वाला बता रहे थे। इस बीच सपा नेतृत्व ने दोनों के बजाय तीसरे को इस सीट से मौका देकर बीच का रास्ता चुना है। सपा के नए दांव से विपक्षी भी सकते में हैं और नई रणनीति बनाने में जुट गए हैं। बताया जाता है कि भाजपा को भी सपा की सूची जारी होने का इंतजार था। सपा की ओर से प्रत्याशियों की घोषणा होने के बाद गुरुवार देर शाम तक भाजपा की भी सूची जारी हो सकती है। पूर्व मंत्री फरीद महफूज किदवई 2012 में कुर्सी से विधायक चुने गए थे। इससे पहले वह रामनगर और मसौली का भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनको अब रामनगर से प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा है।