उत्तर प्रदेश

CM योगी के हाथों को थामे मुलायम संग खड़ी अपर्णा ये तस्वीर …….. बहुत कुछ कहती है

नई दिल्ली : दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों… मशहूर शायर बशीर बद्र साहब का ये शेर आम लोगों की जुबान में बसा हुआ है। राजनीति में भी कुछ तस्वीरें ऐसी आती हैं, जब आपको सुखद एहसास होता है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की एक तस्वीर चर्चा में हैं। समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी धुर विरोधी पार्टियां हैं। यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच जमकर शब्दों के तीर चलाए गए मगर आज इस तस्वीर को देखकर बशीर बद्र साहब का लिखा याद आ गया।

मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना गुप्ता का निधन हो गया। 62 साल की साधना गुप्ता मूल रूप से यूपी के इटावा के बिधुना (अब औरैया जिले का हिस्सा है) की रहने वाली थी। उनके निधन पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दुख जताया और फिर वो उनको श्रद्धांजलि देने भी पहुंचे। वायरल हो रही तस्वीर में मुलायम सिंह यादव बिस्तर पर बैठे हुए हैं। वहीं योगी आदित्यनाथ ने उनका हाथ पकड़ा और उनको ढांढस बंधाया। इस दौरान दोनों के चेहरों में जो भाव हैं वो बताते हैं कि राजनीति से अलग व्यक्तिगत तौर पर जीवन अलग होता है। योगी आदित्यनाथ काफी देर से उनके पास बैठे और बातचीत करते रहे।

मुलायम सिंह यादव और योगी आदित्यनाथ की वायरल तस्वीर में बीजेपी नेता अपर्णा यादव भी खड़ी हैं। उनके पास प्रतीक यादव और अखिलेश यादव भी दिखाई दे रहे हैं। यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक मतभेदों की एक बड़ी दीवार इन दोनों पार्टियों के बीच खड़ी थी। इन्हीं दोनों पार्टियों के बीच लड़ाई भी थी। दोनों के बीच एक दूसरे पर खूब टिप्पणियां की। योगी आदित्यानथ ने मुलायम सिंह यादव के बयानों पर भी खूब चुटकियां ली थीं। मगर आज राजनीति नहीं बल्कि ग़मगीन परिवार को ढांढस दिलाने का वक्त था। सोशल मीडिया पर योगी आदित्यनाथ की खूब तारीफ की जा रही है। लोग कह रहे हैं कि असली राजनीति का उदाहरण ये है।

आपने संसद की कार्रवाई भी देखी होगी। संसद में कार्रवाई के दौरान नेता ऐसे एक दूसरे पर भड़कते हैं मानों ये कितने बड़े दुश्मन हो गए हों। मगर कुछ ही देर बाद ब्रेक टाइम होता है सेंट्रल हॉल में सभी नेता एक दूसरे के साथ हंसी ठिठोली करते हुए दिखते हैं। कई बार जनता में इस तस्वीर को लेकर गुस्सा होता है। लोग कहते हैं कि ये लोग सिर्फ हमें दिखाने के लिए आपस में कमेंटबाजी करते हैं मगर पीठ पीछे सब मिले हुए हैं। लेकिन इसके पीछे एक वजह भी है। राजनीतिक मतभेद तो अच्छे होते हैं लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए। आज जो लोग इस तस्वीर को देखकर हैरत में पड़े हैं उनको ये भी सीखना चाहिए कि हम नेताओं के बयान के पीछे हम अपनी निजी जिंदगी में किसी से दुश्मनी न पालें।

चाहे राम मंदिर का मसला हो या फिर यूपी में सांप्रदायिकता की बात आती है। इन दोनों पार्टियों की आइडियोलॉजी में जमीन आसमान का फर्क है। दोनों एक दूसरे के धुर विरोधी है। मगर ये सिर्फ राजनीति तक ही सीमित होता है। राजनीति से अलग हर नेता दूसरे नेता की खुशी और गम में शरीक जरूर होता है। ये उनकी निजी जिंदगी का हिस्सा होता है। योगी आदित्यनाथ को तेज तर्रार नेता माना जाता है। वो हमेशा मुखर होकर बोलते हैं। मुलायम सिंह यादव और योगी आदित्यनाथ का पुराना वीडियो 10 साल के बाद भी आज कहीं न कहीं तैरता हुआ दिखाई देता है।

ये वीडियो 2013 का है। तब सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद थे और मुलायम सिंह यादव भी सांसद थे। इसी दौरान समाजवाद के मसले पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुलायम सिंह यादव की तरफ इशारा करके तीखा भाषण दिया था। उन्होंने कहा था कि किस समाजवाद की बात कर रहे हैं आप, ये समाजवाद है। ये स्वयं (मुलायम सिंह यादव) पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इनके दो भाई महासचिव हैं। इनका पुत्र प्रदेश अध्यक्ष है। कौन से समाजवाद की बात करते हैं आप ये परिवारवाद है। बेवकूफ बना रहे हैं देश को। देश को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं आप लोग। आप सेक्यूरिजम का नाम लेकर धज्जियां उड़ा रहे हैं। 30-30 दंगे हो चुके उत्तर प्रदेश में। इन दंगों में हमेशा हिंदुओं का नुकसान हुआ है…योगी आदित्यनाथ जितनी देर बोलते रहे उतनी देर मुलायम सिंह यादव सुनते रहे थे।

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की पत्नी साधना गुप्ता (Sadhna Gupta) नहीं रहीं। एक जुलाई से वह फेफड़े के संक्रमण की वजह से गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में भर्ती थीं। निधन के वक्त मुलायम उनके साथ ही थे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुलायम को फोन कर सांत्वना दी है। मुलायम और साधना का रिश्ता अस्सी के दशक से था और 2003 में दोनों ने एक साधारण समारोह में विवाह किया। यह विवाह मुलायम की पहली पत्नी मालती देवी के निधन के बाद हुआ। कहा जाता है कि मुलायम साधना को अपने के लिए ‘लकी’ मानते थे, क्योंकि उनके संपर्क में आने के बाद ही वह पहली बार सीएम बने थे।

औरैया जिले के विधूना की रहने वाली साधना की मुलायम से मुलाकात 80 के दशक में तब हुई थी, जब वह लोकदल में थे। साधना एक साधारण कार्यकर्ता की तरह उनसे मिली थीं और धीरे-धीरे उनके परिवार का हिस्सा बन गईं। साधना उस वक्त शादीशुदा थीं। उनकी शादी फर्रुखाबाद के चंद्रप्रकाश गुप्ता से हुई थी। मुलायम के संपर्क में आने के बाद उनका तलाक हो गया। साधना सक्रिय राजनीति में आना चाहती थीं, पर मुलायम ने उन्हें मना कर दिया। वह 1999 में मुलायम के बेटे अखिलेश की शादी के रिसेप्शन में पहली बार मुलायम परिवार के साथ दिखीं, पर तब भी कम लोग ही उनके बारे में जानते थे। सबको उनकी जानकारी तब हुई जब मुलायम ने सुप्रीम कोर्ट में आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में साधना और उनके बेटे प्रतीक की शपथपत्र में जानकारी दी।

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