
पटना : देश के एडवांस्ड किडनी देखभाल प्रदाता एवं अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के एक हिस्सा अपोलो डायलिसिस क्लीनिक्स ने राज्यव्यापी जागरूकता अभियान के माध्यम से अपना राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2025 अभियान सफलतापूर्वक मनाया, जिसमें किडनी के स्वास्थ्य और समग्र कल्याण में पोषण की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह– जो प्रति वर्ष 1 से 7 सितंबर तक मनाया जाता है, भारत सरकार की ओर से संतुलित आहार, स्वस्थ जीवनशैली और निवारक देखभाल को बढ़ावा देने के लिए चलाया जाने वाला एक पहल है। 2025 का थीम था- ‘बेहतर जीवन के लिए सही भोजन करना, जिसमें कुपोषण से निपटने, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम और पोषण को स्वास्थ्य देखभाल का एक अभिन्न अंग बनाने पर ज़ोर दिया गया है।
अपोलो डायलिसिस क्लीनिक्स ने बिहार सरकार के मजबूत सहयोग के साथ पीपीपी मॉडल के तहत राज्य भर में 3,30,900 से अधिक डायलिसिस सत्र आयोजित किए। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएमएनडीपी) का एक गौरवशाली भागीदार होने के नाते अपोलो यह सुनिश्चित करता है कि दूर-दराज के समुदायों तक भी गुणवत्तापूर्ण और किफायती डायलिसिस देखभाल पहुँच सके। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह अभियान के तहत इस बात पर जोर दिया गया कि अच्छा पोषण डायलिसिस के परिणामों और समग्र स्वास्थ्य को किस तरह बेहतर बनाता है, जिससे इस दिशा में प्रयास और भी सशक्त हुए हैं। अपोलो को गर्व है कि यह बिहार सरकार के साथ मिलकर लोगों को विश्वस्तरीय सुविधाएँ और सहानुभूतिपूर्ण देखभाल प्रदान करने का महान कार्य कर रहा है।

अपोलो डायलिसिस क्लिनिक्स के सीओओ एम. सुधाकर राव ने कहा, अपोलो डायलिसिस क्लिनिक्स में, हम दृढ़ता के साथ मानते हैं कि सही पोषण चिकित्सीय उपचार के समान ही महत्वपूर्ण होता है। इस राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के दौरान हमने पूरे बिहार में कार्यक्रम चलाए हैं जिससे रोगियों और परिवारों को यह समझने में मदद मिली है कि हम किस तरह अपने आहार में छोटे-छोटे बदलाव करके अपनी किडनी के स्वास्थ्य में बेहतर बना सकते हैं। बिहार सरकार और पीएमएनडीपी के साथ हमारी पीपीपी साझेदारी के माध्यम से, हमने स्वस्थ जीवन जीने के बारे में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ एडवांस्ड डायलिसिस देखभाल को अधिक सुलभ बनाया है। एमबीबीएस, एमडी (मेडिसिन),डॉ. शिव कुमार ने कहा, पोषण डायलिसिस उपचार का एक अनिवार्य हिस्सा है। आहार में नमक की मात्रा घटाकर, पोटेशियम और फास्फोरस को नियंत्रित करके, और नियमित रूप से उचित प्रोटीन का सेवन करके, रोगी स्वास्थ्य समस्याओं को दरकिनार कर सकते और जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। डायलिसिस देखभाल में भोजन को दवा माना जाना चाहिए।
बिहार में चलाए गए अभियान की मुख्य विशेषताएं
शैक्षिक वीडियो- एम. सुधाकर राव, डॉ.विजय अग्रवाल और नेफ्रोलॉजी, कार्डियोलॉजी, हेपेटोलॉजी और इंटरनल मेडिसिन के विशेषज्ञों सहित सीनियर लीडरों और डॉक्टरों ने क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी), मधुमेह, उच्च रक्तचाप, एनीमिया, कार्डियोवैस्कुलर और लिवर विकारों के प्रबंधन के लिए पोषण पर व्यावहारिक मार्गदर्शन साझा किया। विषय-विशिष्ट वेबिनार- डॉ.शिव कुमार (सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट, बिहार) ने “डायलिसिस देखभाल में उचित आहार की भूमिका” पर एक विशेष आंचलिक सत्र आयोजित किया। इसके साथ ही, तमिलनाडु, असम, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, उत्तर भारत और कर्नाटक के विशेषज्ञों ने भी सत्रों का संचालन किया। इन सत्रों में देश भर से कुल 30,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, साथ ही बिहार से भी अच्छी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।