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बचपन में करती थी तीरंदाजी, मीरा बाई चानू अब बनी ओलंपिक पदक विजेता वेटलिफ्टर

स्पोर्ट्स डेस्क : ओलंपिक में 49 किलो वर्ग में सिल्वर मैडल जीतकर भारतीय वेटलिफ्टर मीरा बाई चानू ने इतिहास रचा. उन्होंने ओलंपिक में भारतीय उम्मीदों को नई ऊंचाई देते हुए नया इतिहास रचा. 8 अगस्त 1994 को जन्मी मणिपुर की राजधानी इम्फाल की रहने वाली मीराबाई चानू ने शुरुआती दिनों में तीरंदाजी में अपना दमखम दिखा चुकी थी. वैसे मीराबाई को बचपन से तीरंदाजी का शौक था.

हालांकि जब वो आठवीं क्लास में पढ़ रही थी तब उन्होंने से किनारा कर वेटलिफ्टिंग में अपना दम-खम दिखाना शुरू किया. उन्होंने इसी में आगे बढ़ने का फैसला लिया. बोला जाता है कि वेटलिफ्टर कुंजरानी उनके लिए प्रेरणा रही और भारोत्तोलन में उनकी दिलचस्पी बढ़ने लगी. मीराबाई चानू ने 11 वर्ष की कम उम्र में लोकल वेटलिफ्टिंग टूर्नामेंट में गोल्ड मैडल जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया.

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उन्होंने विश्व और एशियाई जूनियर चैंपियनशिप प्रतिस्पर्धा में प्रतिभाग कर अपने इंटरनेशनल करियर को उड़ान देनी शुरू करते हुए दोनों में पदक जीते. मणिपुर की मीराबाई चानू ने ओलंपिक में देश को पदक दिलवाया है.

मीराबाई चानू का रिकॉर्ड

वर्ष 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर

2017 वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप के 48 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड

2018 कॉमन वेल्थ गेम्स में गोल्ड

अप्रैल 2021 ताशकंद एशियाई भारोत्तोलन चैंपियनशिप में महिला 49 किग्रा क्लीन एंड जर्क में 119 किग्रा भार उठाकर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया था

स्नैच में खराब प्रदर्शन की वजह से एशियाई मीट में मिला कांस्य पदक

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