पंजाबराज्य

सरकार को 700 करोड़ का नुकसान पहुँचाने वाला ज्वाइंट डायरेक्टर गिरफ़्तार

मोहाली : पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने तफ्तीश के दौरान नरिन्दर सिंह ज्वाइंट डायरेक्टर, फैक्टरीज़ मोहाली को गिरफ़्तार किया है। आरोप है कि उसने एसएएस नगर स्थित फिलिप्स फैक्ट्री को अनाधिकृत तौर पर डी-रजिस्टर कर दिया था। इससे पंजाब सरकार को 600 से 700 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। अलग-अलग अदालतों में मुकदमों का सामना करना पड़ा। उक्त मुलजिम को एसएएस नगर की अदालत में पेश करके विजिलेंस ब्यूरो ने 5 दिन के रिमांड पर लिया है।

विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि इस सम्बन्ध में पहले ही भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13 (1) (ए), 13 (2) और आईपीसी की धारा 409, 420, 465, 467, 468, 471, 201, 120-बी के तहत दर्ज है। इसमें अब तक 9 मुलजिम अधिकारी/कर्मचारी गिरफ़्तार किये जा चुके हैं, जो न्यायिक हिरासत अधीन जेल में बंद हैं। उन्होंने बताया कि इस केस की तफ्तीश के दौरान ज्वाइंट डायरेक्टर नरिन्दर सिंह को मुलजिम के तौर पर नामज़द करके गिरफ़्तार कर लिया।

जांच के दौरान पाया गया कि उक्त अधिकारी ने 28 दिसंबर 2018 को सुकंतो आइच डायरेक्टर और फिलिप्स कंपनी की तरफ से श्रम कमिश्नर पंजाब, चंडीगढ़ को मुखातिब हुए एक दरख़ास्त डाक के द्वारा मोसुल हुई।नरिन्दर सिंह ने यह दरख़ास्त श्रम कमिशनर पंजाब को भेजे बिना ख़ुद ही कार्यवाही शुरू कर दी। अधिकारी ने अपने पत्र द्वारा बगैर कोई पड़ताल किए या फिलिप्स कंपनी के किसी वर्कर का बयान लिए बिना और श्रम कमिश्नर की मंजूरी के बगैर ही फैक्ट्री डी-रजिस्टर कर दी। फैक्ट्री डी-रजिस्टर करने संबंधी अलग-अलग इंडस्ट्रीज, डायरेक्टर फैक्ट्रीज़ के दफ्तरों की जानकारी के लिए डी-रजिस्टर करने के लिए 25 जनवरी 2019 को जारी पत्र की कॉपी भेजी। परन्तु यह पत्र किसी भी दफ़्तर में मोसुल नहीं हुआ।

यहाँ यह बताने योग्य है कि यदि नरिन्दर सिंह इस फैक्ट्री को डीरजिस्टर न करता तो यह फैक्ट्री बंद नहीं की जा सकती थी। औद्योगिक विवाद कानून की धारा 25 के तहत चालान देना ही नहीं बनता था। ऐसा चालान करने से पहले नरिन्दर सिंह को बाकायदा पड़ताल करनी बनती थी जो उसने नहीं की। इसी कारण उक्त प्रतिवादियों ने इस मद का फ़ायदा लेकर पंजाब सरकार के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में विशेष आज्ञा पटीशन दायर करके धारा 25 के अंतर्गत किए चालान के विरुद्ध रोक (स्टे) हासिल कर लिया था। जांच के दौरान पाया गया कि यदि यह अधिकारी उक्त फैक्ट्री को डी-रजिस्टर न करता तो पंजाब सरकार को 600 से 700 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होना था।

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