मऊ: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के टिकट पर मऊ सदर सीट से विधायक चुने गए अब्बास अंसारी (Abbas Ansari) के प्रवर्तन निदेशालय (ED) के शिकंजे में आने के बाद सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने उन्हें अपनी पार्टी का विधायक मानने से ही इनकार दिया है। उत्तर प्रदेश का पिछला विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ मिलकर लड़ चुके राजभर ने रविवार को आरोप लगाया कि अब्बास को टिकट दिलाना सपा मुखिया अखिलेश यादव की साजिश थी।
मऊ के एक अस्पताल में एक मरीज को देखने पहुंचे राजभर ने संवाददाताओं से बातचीत में सदर विधायक अब्बास अंसारी के बारे में पूछे जाने पर कहा, “अब्बास अंसारी हमारे विधायक नहीं हैं। दरअसल, वह अखिलेश यादव के हैं। केवल विधिक तौर पर पार्टी का चुनाव चिन्ह लेने के कारण ही वह हमारी पार्टी के विधायक कहला रहे हैं। अब्बास सपा का ही झंडा लगाकर घूमते थे।” राजभर ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने डमी प्रत्याशियों को सुभासपा का टिकट दिलवाकर पार्टी को खत्म करने का प्रयास किया।
उन्होंने कहा, “अखिलेश को बहुत घमंड हो गया था कि विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में उनकी सरकार बन रही है, इसलिए उन्होंने डमी उम्मीदवार देकर मुझे खत्म करने का प्रयास किया। कुछ जगहों पर बहुत कहने-सुनने के बाद ही मजबूत उम्मीदवारों को सुभासपा के कोटे से टिकट दिया गया।”
विधानसभा चुनाव में सपा नीत गठबंधन की सरकार नहीं बनने पर गठजोड़ से अलग हुए राजभर ने आरोप लगाया कि अखिलेश ने जिस सीट पर सुभासपा को टिकट दिया, वहां यही चाहा कि पार्टी हार जाए, लेकिन वह उनके दांव को समझ नहीं पाए थे। गौरतलब है कि सुभासपा ने सपा नीत गठबंधन में शामिल होकर 12 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे छह सीटों पर जीत हासिल हुई थी। सुभासपा के विजेता उम्मीदवारों में माफिया राजनेता मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी भी शामिल थे। ईडी धन शोधन के मामले में अब्बास से पूछताछ कर रही है। अब्बास के खिलाफ गलत तरीके से हथियार खरीदने समेत कई अन्य आरोपों में मुकदमे दर्ज हैं। लंबे समय तक फरार रहने के बाद उन्होंने हाल ही में आत्मसमर्पण किया था।