नईदिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार शपथ लेने के तुरंत बाद अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर इटली जाने के लिए तैयार हैं। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए निमंत्रण भेजा था, जिसे पीएम मोदी ने स्वीकार कर लिया है। जी7 देशों का शिखर सम्मेलन 13 से 15 जून तक इटली के पुगलिया में आयोजित किया जाएगा। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि ‘पीएम मोदी ने गुरुवार को इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी से बात की और इटली के पुगलिया में होने वाले जी7 शिखर सम्मेलन में निमंत्रण के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।’ इस दौरान पीएम मोदी और जॉर्जिया मेलोनी के बीच मुलाकात होगी।
इस साल जी7 की अध्यक्षता इटली कर रहा है। इस शिखर सम्मेलन में वैश्विक आर्थिक परिदृश्य, जलवायु परिवर्तन और रूस-यूक्रेन युद्ध तथा इजरायल-हमास के बीच संघर्ष जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित होने की संभावना है। जी7 देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान शामिल हैं। यूरोपीय संघ इसमें अतिथि के रूप में चर्चा ले रहा है। अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और दूसरे जी7 नेताओं से मिलेंगे।
जी7 शिखर सम्मेलन के अलावा प्रधानमंत्री मोदी को 15 से 16 जून तक स्विटजरलैंड में होने वाले यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन में भी औपचारिक रूप से आमंत्रित किया गया है। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि पीएम मोदी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे या नहीं। रूस को इस सम्मेलन में आयोजित नहीं किया गया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिरि जेलेंस्की ने पीएम मोदी को चुनाव में जीत के बाद भेजे अपने बधाई संदेश में शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेने का आग्रह किया था।
शपथ ग्रहण समारोह के बाद भारत का कूटनीतिक कार्यक्रम बहुत व्यस्त होने वाला है। जी-7 से पहले ही भारतीय विदेश मंत्री 11 जून को रूस में ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे, जहां अक्टूबर में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की तैयारी की चर्चा करेंगे। जून के आखिरी सप्ताह में पीएम मोदी के बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की मेजबानी करने की उम्मीद है। इसके बाद जुलाई में कजाकिस्तान में एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यहां उनकी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हो सकती है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, कि नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी से बात की और इटली के पुगलिया में आयोजित होने वाले जी 7 शिखर सम्मेलन आउटरीच सत्र में शामिल होने का निमंत्रण देने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।
इस साल इटली, G7 की अध्यक्षता कर रहा है। यह शिखर सम्मेलन ग्लोबल इकोनॉमिक लैंडस्केप, इंटरनेशनल ट्रेड, जलवायु परिवर्तन और रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल और हमास के बीच संघर्ष के प्रभावों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगा। G7 देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और अमेरिका शामिल हैं, जबकि यूरोपीय संघ अतिथि के रूप में चर्चा में भाग ले रहा है। अपनी यात्रा के दौरान, पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति और अन्य G7 नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।
शपथ ग्रहण समारोह समाप्त होने के बाद भारत का कूटनीतिक कार्यक्रम बहुत व्यस्त होने वाला है। जी-7 से पहले भारतीय विदेश मंत्री अक्टूबर में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की तैयारी के लिए 11 जून को, रूस में ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे। हालांकि, अभी तक तय नहीं हुआ है, कि भारत के अगले विदेश मंत्री कौन होंगे, लेकिन माना जा रहा है, कि एस. जयशंकर को ही इस बार भी विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलने जा रही है।
इसके अलावा, उम्मीद है कि भारतीय प्रधानमंत्री जून के आखिरी हफ्ते में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की मेजबानी करेंगे, उसके बाद जुलाई में कजाकिस्तान में एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जहां चुनाव के बाद उनकी मुलाकात चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हो सकती है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी चुनावी जीत के बाद बधाई संदेश में नई दिल्ली से आगामी शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेने का आग्रह किया है। जेलेंस्की ने वैश्विक मामलों में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका और स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयासों के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री मोदी ने भी जवाब देते हुए वैश्विक शांति की वकालत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट नहीं किया है, कि वे यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे या नहीं।
इस साल मार्च में, यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने नई दिल्ली का दौरा किया था और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की थी। अपनी बातचीत के दौरान, कुलेबा ने शांति शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी के लिए अनुरोध दोहराया और इस बात पर जोर दिया, कि भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालांकि, जयशंकर ने कुलेबा की अपील पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की, जिससे इस मामले पर भारत की स्थिति अस्पष्ट बनी रही।
भारत का कूटनीतिक नजरिया यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के बीच उसके सावधानीपूर्वक संतुलन को दर्शाता है, क्योंकि भारत, पश्चिमी देशों और रूस दोनों के साथ अपने संबंधों को प्रबंधित करता है। शांति शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी का निर्णय अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक हलकों में रुचि और अटकलों का विषय बना हुआ है।