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अशोक सिंह (जिला सहायक निबंधक सहकारिता ) का भ्रष्टाचार और मैनेंजमेट का खेल जारी..

लखनऊ: भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने के बाद लखनऊ से आगरा स्थानांतरित होने के बावजूद अशोक सिंह (ए आर) आज एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी अपनी कुर्सी पर डटा हुआ है। उसका मैनेजमेंट का खेल बदस्तूर जारी हैं। वो आज भी बैक डेट मे कई अहम फैसले कर रहा हैं और अपने खिलाफ लगे आरोपो के सबूत मिटाने मे जुटा हैं।..अशोक सिंह पर कॉपरेटिव चुनाव के बीच मे ही आनन फानन मे वरीयताक्रम क्रम कि अवहेलना करते हुए पॉच वरिष्ठ कर्मचारियो को सुपरशीट करते हुए “शरद टण्डन “से मोटी रकम लेकर राजधानी बैंक का सचिव नियुक्त करने के गंभीर आरोप लगे हैं।

..दरअसल अशोक सिंह कि मंशा चुनावो मे व्यवधान डाल कर बोर्ड को भंग करके स्वंय प्रशासक बन कर बैंक पर नियंत्रण करने कि थी,जिसमे वे सफल नही हो सका।सचिव बदलने के खेल के पीछे सहकारिता विभाग और राजधानी बैंक के कर्मचारियो मे मोटी रक़म के लेन देन कि चर्चा हैं।जिसकी भनक विभागीय मंत्री तक पहुँच गयी थी। जिसके कारण चुनाव संपन्न होते ही विभागीय मंत्री ने मामले का संज्ञान लेते हुए जिला सहायक निबंधक अशोक सिंह को आगरा मंडल से संबद्ध कर दिया और उनकी विभागीय जॉच कि तैयारी की जा रही है ।लेकिन सहायक निबंधक अशोक सिंह अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए अपना स्थानांतरण और जॉच रुकवाने कि पेशबंदी मे लगा हैं।साथ ही उनके पद पर जिस व्यक्ति को ज्वाइन करना था।उसको व्यक्तिगत तौर पर मैनेज करके कुछ दिनों कि छुट्टी पर भिजवा दिया हैं।जिससे इनको चार्ज देने कि बाध्यता न बने।और अपने पक्ष मे ये दलील पेश कर रहे हैं कि,चूँकि इन्होंने भ्रष्टाचार रोकने का प्रयास किया इस कारण इनका तबादला कर दिया गया।जबकि ख़बर लिखने वाले संवाददाता तक को सचिव बदलने के और इनके भ्रष्टाचार मे लिप्त होने कि जानकारी पहले से थी।

सहायक निबंधक अशोक कुमार सिंह जब रविवार के दिन अपना ऑफ़िस खुलवा कर इस खेल को अंजाम देने वाले थे तभी इस मामले कि जानकारी सूत्रों द्वारा मीडिया को प्राप्त हो गयी थी।चैनल और बडे अखबारो के संवाददाताओ ने फोन कर के इस मामले पर इनका पक्ष जानना चाहा तो इन्होने मामले को भ्रामक बताते हुए पारिवारिक कार्यक्रम मे व्यस्त होने का बहाना कर के कोई भी अधिकारिक बयान देने से मना कर दिया था और रविवार के दिन ऑफिस मे इकट्ठा चौकडी को तुरंत ऑफिस बंद कर वहॉ होने वाली बैठक को अपने घर पर बुला कर बैक डेट मे प्रशासक कमेटी पर दबाव बना कर सचिव बदलने का खेल को अंजाम दिया,लेकिन उसकी इस धांधली और भ्रष्टाचार कि जानकारी आम होने से ये मामला अशोक सिंह के गले कि हड्डी बन गया हैं।

विभागीय जांच मे फंसते देख अशोक सिंह (ए आर) ने डैमेज कंट्रोल के लिए अपनी पूरी ताकत झोक दी है और कई राजनेताओ से भ्रामक जानकारी देकर पेशबंदी मे लगा हैं।इनका नया कारनामा सचिवालय कॉपरेटिव बैक मे पूर्व मे कार्यरत सॉफ़्टवेयर कंपनी को बदलकर नयी कंपनी को बैंक का कार्य देकर मोटी रक़म लेने का नया मामला उजागर हुआ हैं।.

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