दस्तक-विशेषस्वास्थ्य

अस्थमा लाइलाज नहीं है इसका उपचार कराये: डॉ. अनुरूद्ध वर्मा

डॉ.अनुरूद्ध वर्मा

विश्व अस्थमा दिवस पर विशेष

बाराबंकी (उमेश यादव/राम सरन मौर्या): प्रत्येक वर्ष मई माह के प्रथम मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है।इसको मनाए जाने का उद्देश्य लोगों में अस्थमा के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना है।विश्व अस्थमा दिवस पर केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ अनुरूद्ध वर्मा बताते है कि सर्व प्रथम वर्ष 1998 में ग्लोबल इनीशिएटिव फॉर अस्थमा (जीना) के द्वारा इस दिवस के आयोजन की शुरुआत की गई थी और प्रत्येक वर्ष “जीना” द्वारा ही विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन किया जाता है।

डॉ अनुरूद्ध वर्मा बताते है कि अस्थमा अथवा दमा की गंभीरता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि देश में लाखों की संख्या में लोग इससे पीड़ित हैं जिसमें बच्चे शामिल हैं।

अस्थमा के लक्षण

अस्थमा में व्यक्ति की सांस फूलती है, सीने में घर-घराहट होती है, गले में सीटी बजती है और रोगी सीने में दबाव महसूस करता है।

अस्थमा के कारण

अस्थमा के प्रमुख कारणों में अनुवांशिक कारण, बढ़ता वायु प्रदूषण, कुछ औषधियां एवं बदलती हमारी जीवन शैली है। मरीजों में इस तरह के लक्षणों का इतिहास और घर के कुछ अन्य सदस्यों में भी इस तरह के लक्षण मिलने की संभावना रहती है।अस्थमा की जांच स्पायरोमेट्री और पीकफ्लो मीटर तथा स्टैथोस्कोप से की जाती है।

अस्थमा के रोगियों को किन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए

डॉ अनुरूद्ध वर्मा बताते है कि जैसे कि यदि किसी चीज से मरीज को तकलीफ होती है तो उस वस्तु का सेवन बंद कर दें, धूल धुआं गर्दा और नमी वाले स्थानों पर नहीं जाना चाहिए, पशु-पक्षी पालने से परहेज करना चाहिए, अपने बिस्तर को सप्ताह में एक बार कम से कम धूप अवश्य दिखाना चाहिए, घर में धूप और हवा का आदान प्रदान ठीक होना चाहिए, घर में तेज महक वाली अगरबत्ती, धूपबत्ती या सेंट का प्रयोग नहीं करना चाहिए, घर में कोई भी रोएदार खिलौने या रोएदार चीजें नहीं रखना चाहिए, घर में सफाई के पोंछा का इस्तेमाल करें, डस्टिंग से बचना चाहिए, मिर्च मसाला तेल घी और गरिष्ठ भोजन से परहेज करना चाहिए, तनाव से बचना चाहिए, ब्रीथिंग एक्सरसाइज नियमित रूप से करना चाहिए, सिर ऊंचा करके सोना चाहिए, अस्थमा के रोगी को धूम्रपान और शराब का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, सांस के मरीजों को ऋतु परिवर्तन के समय अधिक सावधान रहना चाहि। जैसे ही खांसी, जुखाम, बुखार की शुरुआत हो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। अस्थमा के मरीजों को पानी अधिक पीना चाहिए और नियमित रूप से भाफ़ का बफारा करना चाहिए।

होम्योपैथी में भी है अस्थमा का प्रभावी इलाज

वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ अनुरूद्ध वर्मा बताते है कि होम्योपैथी पद्धति में अस्थमा का प्रभावी उपचार उपलब्ध है।होम्योपैथी में रोगी के आचार, विचार, पसंद, नापसंद, व्यक्तिगत लक्षणों को ध्यान में रखकर औषधि का निर्धारण किया जाता है ।होम्योपैथिक औषधियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह शरीर पर किसी प्रकार का दुष्परिणाम नहीं डालती है तथा रोगी को दवाओं का आदी नहीं बनाती है।अस्थमा में प्रयोग होने वाली औषधियों में आर्सेनिक एल्बम,काली बाई, ब्रायोनिया, ट्यूबेरक्यूलिनम, सबडिला, हिपर सुल्फ, फॉस्फोरस, ऐंटिम टार्ट आदि दवाएं प्रमुख है।लेकिन इन सभी दवाओं का प्रयोग चिकित्सक के परामर्श पर ही करना चाहिए।अस्थमा छिपाने से नहीं अस्थमा उपचार करने से ठीक होता है।

आज वर्तमान समय में जब पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है ऐसे में अस्थमा के मरीजों को भी अत्यधिक सजग और सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि अस्थमा के मरीजों में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है ऐसे में कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में सांस के रोगी अपने घरों में रहे, स्वच्छ वातावरण में रहे,शारीरिक दूरी बनाये रखे, मुंह पर मास्क लगाये रहें।अस्थमा आज लाइलाज नहीं है इसका उपचार कराए।

एलोपैथिक उपचार

वरिष्ठ क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ दिलीप कुमार वर्मा बताते है कि वर्तमान समय में अस्थमा का उपचार अत्यंत सरल है। एलोपैथिक चिकित्सक वर्तमान समय में अस्थमा का उपचार इनहेलर के द्वारा करते हैं। इनहेलर दो प्रकार के होते हैं। पहला कंट्रोलर दूसरा रिलीवर। कंट्रोलर इनहेलर नियमित रूप से लिया जाता है जबकि रिलीवर इनहेलर सांस फूलने की स्थिति में लिया जाता है। एलोपैथिक चिकित्सकों के अनुसार वर्तमान समय में इनहेलर ही सबसे अच्छा उपचार है, क्योंकि यह सस्ता पड़ता है और इसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है।

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