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बढ़ते प्रदूषण से बचने अस्थमा पेशेंट अपनाएं यें टिप्स

नई दिल्‍ली : सर्दियों के मौसम में प्रदूषण का लेवल लगातार बढ़ता रहता है। इन दिनों दिल्ली के कुछ इलाकों का एक्यूआई 1000 बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि बढ़ते प्रदूषण में सांस लेने का मतलब सिगरेट पीने जैसा है। प्रदूषण में मौजूद छोटे कण फेफड़ों में इंफेक्शन करते हैं और इनके काम करने की क्षमता पर असर डालते हैं। ऐसे में अस्थमा पेशेंट को गंभीर परेशानियां हो रही है।

प्रदूषण में मौजूद एलर्जन अस्थमा के मरीजों की एलर्जी को बढ़ा देते हैं। प्रदूषण के छोटे कण सांस की नली में रहते हैं और इससे सांस लेने में परेशानी होती है। वहीं, प्रदूषण के बड़े कण फेफड़ों के वायुमार्ग में जमा हो जाते हैं। रिपोर्ट्स कहती हैं कि इस दौरान अस्थमा विकसित होने की संभावना ज्यादा होती है वहीं जिन लोगों को ये समस्या पहले से है उनमें इसके लक्षण गंभीर हो जाते हैं।

अस्थमा के मरीजों को स्मोकिंग के धुएं से सतर्क रहना चाहिए क्योंकि यह उनके फेफड़ों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। कुछ लोग अस्थमा के पेशेंट होने के बावजूद स्मोकिंग करते हैं ये गलत है, इससे आपकी परेशानी बढ़ सकती है। वहीं ऐसी जगहों पर खड़े न हों जहां पर स्मोकिंग की जा रही हो ताकि सांस की तकलीफ से बचा जा सके।

सर्दियों के मौसम में प्रदूषण का लेवल भी ज्यादा होता है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए। ऐसे में कोशिश करें कि भीड़भाड़ और ज्यादा प्रदूषण वाले इलाकों में जाने से बचें ताकि सांस की तकलीफ और अस्थमा अटैक से बचा जा सके।

प्रदूषण से भी बचने के लिए मास्क सबसे ज्यादा जरूरी है। ऐसे में जब भी घर से बाहर निकलें तो मास्क पहनें, ताकि धूल और अन्य हानिकारक कण आपके फेफड़ों तक न पहुंचें। मास्क ऐसा चुनें जो नाक को अच्छी तरह से कवर कर सकते हैं।

प्रदूषण से बचाव करने के लिए कुछ चीजों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन आप हमेशा ध्यान रखें। घर के अंदर के प्रदूषण पर नजर रखना भी बहुत जरूरी है। मच्छर कॉइल, अगरबत्ती, धूप या कभी-कभी कीटनाशक स्प्रे या मच्छर स्प्रे घर के अंदर प्रदूषण में योगदान कर सकते हैं।

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