Red Sea में जहाजों पर हमले जारी, 13 देशों ने हूती विद्रोहियों को दी सैन्य कार्रवाई की चेतावनी
वाशिंगटन : यमन के हूती विद्रोहियों का लाल सागर में जहाजों को निशाना बनाने का मामला अभी ठंडा नहीं पड़ रहा है। अमेरिका और 12 सहयोगियों ने बुधवार को अंतिम चेतावनी दी है कि हमलों को रोक दिया जाए, नहीं तो सैन्य कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें। हमास के हमले के बाद सात अक्टूबर को गाजा पर इस्राइल के जवाबी हमलों की शुरुआत के बाद से ही हूती विद्रोहियों ने इस्राइल की ओर कई मिसाइल और ड्रोन छोड़े हैं। 19 दिसंबर से अब तक कम से कम 23 हमले किए हैं।
बाइडन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हमले जारी रहने की स्थिति में संभावित भागीदारी के नियमों का ब्योरा देने से इनकार कर दिया। हालांकि, इस बात पर जोर दिया कि ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों को अमेरिका और उसके सहयोगियों से एक और चेतावनी मिलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
अमेरिका और 12 सहयोगियों ने बुधवार को एक संयुक्त बयान जारी कर हमलों की निंदा की और इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनावपूर्ण स्थिति है। बता दें, बयान पर हस्ताक्षर करने वाले अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, जर्मनी, इटली, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, सिंगापुर और ब्रिटेन हैं।
बयान में देशों ने कहा, ‘अब हमारा संदेश स्पष्ट है। हम तुरंत इन हमलों को रोकने और गलत तरीके से लिए हिरासत में लिए गए जहाजों तथा चालक दल को रिहा करने का आह्वान करते हैं। अगर ऐसा नहीं किया गया को हूती खतरनाक परिणामों के जिम्मेदार होंगे।’
कई हफ्तों से यमन के बड़े हिस्से पर नियंत्रण रखने वाले हूती विद्रोही लाल सागर से होकर इस्राइल जाने वाले सभी जहाजों को निशाना बना रहे हैं। हूतियों का कहना है कि इनके हमलों का उद्देश्य गाजा पट्टी में इस्राइल के हवाई और जमीनी हमले को समाप्त करना है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल नवंबर में हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में एक कार्गो शिप अपने कब्जे में ले लिया था। उनका कहना था कि ये इस्राइल का है। वे इसे यमन के तट पर एक जगह ले गए थे। हालांकि, इस्राइल का कहना था कि न तो ये जहाज इस्राइल का था और न ही इसके क्रू का कोई सदस्य इस्राइली था।
तीन दिसंबर के बाद से हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में कई सारे व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया है। इसके लिए उन्होंने यमन के तट पर अपने नियंत्रण वाले इलाके से ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया है। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांसीसी युद्धपोतों ने हवा से मार करने वाले ऐसे कई हथियारों को मार गिराया, फिर भी बहुत से जहाज इनकी चपेट में आ गए।