मुरादाबाद : समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के विधायक आजम खान (Azam Khan) का दर्द एक बार फिर छलक उठा। दरअसल, आजम खान इन दिनों लगातार कोर्ट और केस के चक्करों में फंसे हुए हैं। विभिन्न कोर्ट में उनकी पेशी हो रही है। इन मामलों को लेकर उनका दर्द सामने आ गया। 90 से अधिक मामलों में बेल पर चल रहे आजम खान के केस में गुरुवार को मुरादाबाद के एमपी-एमएलए कोर्ट में पेशी हुई। पेशी के लिए आए आजम खान ने मीडिया से भी बात की। इस दौरान जब उनसे राजनीति का सिकंदर होने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सिकंदर तो नहीं बन पाया, मदारी का बंदर जरूर बन गया हूं।
आजम खान ने कहा कि मैं सिकंदर तो नहीं बन पाया, लेकिन मदारी का बंदर जरूर बन गया हूं। उन्होंने कहा कि बंदर बनकर कभी मुरादाबाद, कभी फिरोजाबाद तो कभी कहीं और दौड़ लगा रहे हैं। उनका इशारा अपने ऊपर दर्ज अनगिनत मुकदमों और बार-बार तारीखों पर पेशी पर था। दरअसल, आजम खान के खिलाफ यूपी की अलग अलग अदालतों में करीब 90 केस विचाराधीन हैं। गुरुवार को आजम खान वर्ष 2008 में छजलैट थाने में दर्ज हुए केस के मामले में पेश हुए।
आजम खान कभी खुद को राजनीति का सिकंदर करार देते थे। रामपुर विधानसभा सीट से यूपी चुनाव 2022 में लगातार दसवीं बार जीत दर्ज कर उन्होंने इसे साबित भी किया है। मीडिया की ओर से जब उनसे सवाल किया गया कि विपक्ष में समाजवादी पार्टी को सबसे अधिक वोट मिले हैं। इस पर आजम ने कहा कि सरकार तो नहीं बनी। जो जीता वही सिकंदर। सिकंदर तो हम नहीं हो पाए, बंदर हो गए। कभी रामपुर कोर्ट में, कभी मुरादाबाद, कभी बम्बई, कभी लखनऊ, कभी फिरोजाबाद… दौड़ लगा रहे हैं।
आजम खान ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए लुलु मॉल प्रकरण पर भी अपना पक्ष साफ किया। उन्होंने कहा कि लुलु मॉल का मालिक आरएसएस का फंडरेजर है। उसने अपने मॉल में नमाज का मुद्दा खड़ा किया। लुलु मॉल के नाम पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि वे लोग इसका नाम नहीं बदलेंगे। इससे उनकी कमाई जुड़ी हुई है। साथ ही, आजम ने महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा। बड़े पदों पर तैनात अधिकारियों की नीतियों पर भी सवाल खड़े किए।