देहरादून (गौरव ममगाईं)। वैसे तो देवभूमि उत्तराखंड में प्राचीन काल से ही दिव्य शक्तियों का वास रहा है। आज भी उत्तराखंड के अनेक देवस्थलों व पवित्र क्षेत्रों में चमत्कार देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक चमत्कार का साक्षात् प्रमाण है उत्तराखंड की ‘टिम्मणसैंण गुफा’, जिसे ‘उत्तराखंड की अमरनाथ गुफा’ के नाम से भी जाना जाता है।
दरअसल, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित टिम्मणसैंण गुफा में हर वर्ष अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। शीतकाल के समय यहां बर्फ बड़े-बड़े शिवलिंग का आकार लेती हैं। इनमें एक मुख्य शिवलिंग होता है, जिसकी ऊंचाई 9 से 10 फीट तक होती है। मान्यता है कि भगवान शीतकाल में बाबा बर्फानी के रूप में दर्शन देते हैं। इस शिवलिंग की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भले ही बर्फ से बने ये शिवलिंग प्राकृतिक हों, लेकिन इनकी बनावट व खूबसूरती अद्भुत होती है। धर्म से जुड़े लोग इसे बाबा का चमत्कार मानते हैं।
झरने से प्राकृतिक रूप से होता है शिवलिंग का अभिषेक
टिम्मरसैंण गुफा में एक चमत्कार नहीं, बल्कि कई चमत्कार देखने को मिलते हैं। शिवलिंग रूप में प्रकट हुए बाबा बर्फानी के ऊपर झरने की जलधारा गिरती रहती है, इससे शिवलिंग का अभिषेक होता रहता है। यह प्राकृतिक दृश्य हर किसी को अचंभित करता है। कई वैज्ञानिक भी इस रहस्य को आज तक नहीं समझ पाये हैं।
क्या हैं धार्मिक मान्यताएं ?
उत्तराखंड विद्वत सभा के अध्यक्ष आचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगाईं के अनुसार, मान्यता है कि टिम्मरसैंण गुफा में भगवान शिव की विशेष क़ृपा है। शीतकाल में बर्फबारी के समय मार्ग अवरूद्ध हो जाते हैं, जिसके कारण देवस्थलों में लोगों की आवाजाही न के बराबर होती है। इस समयकाल को दिव्य शक्तियों व एकांतवास के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। इसका उदाहरण बद्रीनाथ भी है। शीतकाल में बद्रीनाथ के कपाट बंद हो जाने के बाद इस पवित्र क्षेत्र में बर्फबारी के दौरान भी कई संन्यासी-साधु कठिन साधना करते हैं। इस समय दिव्य शक्तियों का अधिक प्रभाव होने के कारण उन्हें फल प्राप्त होता है। ठीक इसी प्रकार, बाबा बर्फानी भी उस समय प्रकट होते हैं, जब गुफा में श्रध्दालुओं का आगमन नहीं होता है। बाबा बर्फानी को बाबा अमरनाथ का रूप भी माना जाता है। ऐसे दिव्य चमत्कार बेहद दुर्लभ होते हैं।
बता दें कि उत्तराखंड में टिम्मरसैंण की गुफा चमोली जिले में नीती घाटी से करीब 1 किलोमीटर पहले है। यह गुफा भारत-चीन सीमा के काफी करीब है। इस गुफा का पौराणिक काल से ही विशेष धार्मिक महत्व रहा है।