स्पोर्ट्स डेस्क : इस बार टोक्यो ओलंपिक में भारतीय निशानेबाजों से रिकॉर्ड संख्या में क्वालीफाई करने के बाद पदकों की आस थी लेकिन रियो ओलंपिक की तरह जापान में उनका अभियान निराशाजनक रहा. हालांकि रियो ओलंपिक के बाद भारतीय निशानेबाजी प्रणाली में कई आमूल-चूल बदलाव किये गए थे लेकिन टोक्यो में इससे भी बुरे परिणाम देखने को मिले, जहां 15 सदस्यीय मजबूत दल पूरी तरह बिखर गया और सौरभ चौधरी ही फाइनल में जगह बना सके.
भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ के अध्यक्ष रनिंदर सिंह ने 25 मीटर और 50 मीटर स्पर्धाओं के बाकी रहते टाइम ही बोल दिया था कि खेलों के बाद बड़े पैमाने पर कोचिंग स्टाफ को बदला जाएगा. इस बीच युवा पिस्टल निशानेबाज मनु भाकर और उनके पूर्व कोच जसपाल राणा का विवाद फिर से सामने आया जिसने खराब परिणाम के बीच प्लेयर्स को और हतोत्साहित किया.
टूर्नामेंटों के अंतिम दिन, युवा ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर और संजीव राजपूत पुरुष 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने में विफल रहे और क्वालीफिकेशन में वे क्रमशः 21वें और 32वें स्थान पर रहे. इस बारे में रनिंदर ने बोला कि प्रदर्शन की समीक्षा होगी और बड़े आयोजनों के लिए प्लेयर्स को बेहतर ढंग से तैयार करने के लिए कोचिंग स्टाफ में बदलाव करने पर ध्यान दिया जाएगा.
उन्होंने बोला, स्पष्ट रूप से उनमें प्रतिभा है और हमने इसे यहां भी देखा है. सवाल ये उठ रहा है कि क्या ये कोचों के कारण हुआ या ओलंपिक के दबाव के कारण? क्या तैयारी में कुछ कमी थी, क्या कोचों के बीच कथित गुटबाजी इसका कारण था या समस्या निशानेबाजों के रवैये में थी? ये लगातार दूसरी बार है जब ओलंपिक में भारतीय दल खाली हाथ है. वैसे रियो खेलों के बाद ओलंपिक विजेता अभिनव बिंद्रा की अगुवाई में समिति का गठन हुआ था, जिसमें निशानेबाजी के संचालन को लेकर बदलाव के सुझाव दिए गए थे.
राष्ट्रीय महासंघ के साथ साथ कोचों और निशानेबाजों से निश्चित रूप से कठिन सवाल पूछे जाएंगे कि वो हाल के सालों में आईएसएसएफ विश्व कप के अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन को टोक्यो दोहराने में कामयाब क्यों नहीं रहे.एनआरएआई ने कोरोना के दौरान प्लेयर्स को क्रोएशिया में रखा ताकी देश में महामारी के दूसरे लहर के बीच उनका अभ्यास प्रभावित ना हो. रनिंदर ने बोला कि, मुझे सिर्फ यही बोलना है कि मैं खराब प्रदर्शन के लिए बहाना नहीं बनाना चाहता हूं.
उन्होंने बोला कि, हमारी ओर से, हमने निशानेबाजों को तैयार करने के लिए जो कुछ भी मानवीय संभव है,किया. हमने (बिंद्रा) समिति की सिफारिश का पालन किया, जिसने रियो में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद सुझाव दिए थे. एनआरएआई प्रमुख ने ये भी बोला कि टोक्यो में प्रतिस्पर्धा करने वाले अधिकांश निशानेबाज युवा थे और हो सकता है कि ओलंपिक जैसे बड़े आयोजन में हिस्सा लेने के दबाव में आ गए हों.
बताते चले कि निशानेबाजी में छह देशों ने एक-एक गोल्ड पदक साझा किया, कुल 19 देशों ने यहाँ पदक जीते. वही भारत के साथ जर्मनी, स्वीडन, नॉर्वे और हंगरी जैसे निशानेबाजी में मजबूत माने जाने वाले देश भी पदक जीतने में विफल रहे.