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बालाघाट : काजू के उत्पादन में जिले के किसानों ने दिखाई रूचि

बालाघाट : काजू के उत्पादन में जिले के किसानों ने दिखाई रूचि
बालाघाट : काजू के उत्पादन में जिले के किसानों ने दिखाई रूचि

बालाघाट: बालाघाट जिले के दूरस्थ एवं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बिरसा में किसानों का अनुपयोगी भूमि पर काजू के पौधे लगाने की ओर तेजी से रूझान बढ़ता जा रहा है। किसानों द्वारा उद्यानिकी विभाग की योजनाओं का लाभ लेकर आधुनिक ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग कर काजू के पौधे लगाये जा रहे हैं। जिसके फलस्वरूप जिले के काजू के फलोद्योन में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। ग्राम भीमलाट की मधुलता उईके ने अपनी अनुपयोगी जमीन पर 320 काजू के पौधे लगाकर क्षेत्र के अन्य किसानों को भी काजू की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है।

वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी हरगोविंद धुवारे ने शनिवार को बताया कि एक वर्ष पहले बिरसा विकासखंड के ग्राम जगला के पहाड़ी क्षेत्र की अनुपयोगी जमीन पर काजू के पौधे लगाये गये थे। काजू के पौधे दक्षिण के राज्यों से लाकर लगाये गये थे। इससे प्रेरित होकर बिरसा क्षेत्र के किसान बड़ी संख्या में काजू की खेती के लिए आगे आ रहे है।

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उद्यानिकी विभाग की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना “रफ्तार’’ तथा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत जिले में काजू फलोद्यान रकबा 1.600 हेक्टेयर में ड्रिप इरीगेशन सिस्टम से वर्ष 2019-20 में माह नवम्बर 2019 में काजू के पौधे का रोपण किया गया था। 01 वर्ष की अवधि में काजू के यह पौधे 5 फुट ऊचाई के हो चुके हैं, जो पौधे रोपण के समय लगभग 2 फुट ऊचाई के थे। ड्रिप इरीगेशन सिस्टम से पौधे की ऊचाई एवं मोटाई से काजू का फलोद्यान ऐसे लग रहे हैं, जैसे 3 वर्ष का फलोद्यान होगा।

ग्राम भीमलाट की कृषक मधुलता उइके द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में 1.800 हेक्टेयर में काजू के 320 पौधे का रोपण नवंबर 2019 में किया गया है। उनके द्वारा काजू की उन्नत किस्म की V-4 एवं 1-7 का पौधरोपण किया गया है। उनके खेत के काजू फलोद्यान में 58 हजार 816 रुपये की लागत से ड्रिप सिंचाई सिस्टम लगाया गया है। जिसमें कृषक अंश के रूप में 39 हजार 499 रुपये तथा अनुदान राशि के रूप में 19 हजार 317 रुपये प्राप्त लगे हैं। मधुलता उईके खेत में वर्तमान में काजू के पौधों की गेप फीलिंग कर शत प्रतिशत पौधों को जीवित रखा गया है।

कृषक मधुलता ने बताया कि आगामी वर्ष 2021 के माह मई में काजू की पहली लगभग 18 माह में प्राप्त होगी। जिससे द्वितीय वर्ष से आय प्राप्त होगी। इसके बाद निरंतर 25 से 30 वर्ष तक काजू फलोद्यान से स्थायी आय प्राप्त होगी और यह उनके लिए आय का अच्छा साधन होगा।

उन्होंने बताया कि तीसरे वर्ष से उन्हें काजू फलोद्यान से 02 लाख रुपये की आय होने लगेगी तथा प्रत्येक काजू के पेड़ से 10 किलोग्राम काजू फल प्राप्त प्राप्त होगा। उद्यान विभाग के अधिकारी मधुलता एवं अन्य किसानों का निरंतर मार्गदर्शन कर रहे है और काजू के उत्पादन में बालाघाट जिले को एक नई पहचान दिलाने के लिए सतत प्रयास कर रहे हैं।

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