नई दिल्ली। 26 फरवरी, 2019 को भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी शिविरों पर हवाई हमले किए थे। इससे पहले, पुलवामा में 40 जवान शहीद हो गए थे। वायुसेना प्रमुख वी.आर. चौधरी ने मंगलवार को कहा कि बालाकोट में 2019 के हवाई हमलों ने प्रदर्शित किया कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति है, तो ‘नो वार, नो पीस’ परिदृश्य में एयरोस्पेस शक्ति का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है।
वायुसेना प्रमुख भारतीय वायुसेना के पहले और एकमात्र मार्शल अर्जन सिंह की स्मृति में सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज (सीएपीएस) द्वारा आयोजित ‘एयरोस्पेस पावर : पिवोट टू फ्यूचर बैटलस्पेस ऑपरेशंस’ पर एक सेमिनार में बोल रहे थे।
यह सम्मेलन अर्जन सिंह के लिए एक सम्मान था, जो 1965 में जब भारतीय वायुसेना ने आधुनिक युग के अपने पहले संघर्ष में कार्रवाई देखी थी, तब वायुसेना प्रमुख थे। जब उन्हें भारतीय वायुसेना का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, तब वह मुश्किल से 44 वर्ष के थे।
भारतीय वायुसेना के अनुसार, संगोष्ठी का उद्देश्य एयरोस्पेस शक्ति की बदलती प्रकृति और भविष्य के युद्धक्षेत्र संचालन में इसकी भूमिका का पता लगाना था।
भारतीय वायु ोना के पहले और एकमात्र मार्शल की स्मृति में वायुशक्ति अध्ययन केंद्र ने वायुशक्ति के वर्तमान और भावी पीढ़ी के समर्थकों को प्रेरित करने के लिए उनके सम्मान में एक वार्षिक स्मारक व्याख्यान शुरू करने का निर्णय लिया।