बलवीर सिंह दूसरी बार बने इफ़को के चेयरमैन
लखनऊ: दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको की प्रबंध समिति के नई दिल्ली में सम्पन्न हुए चुनाव में उत्तर प्रदेश से आने वाले बलवीर सिंह लगातार दूसरी बार वाइस चेयरमैन चुने गए। गुजरात की मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पूर्व सांसद दिलीप संघाणी को इफको का लगातार दूसरी बार अध्यक्ष चुना गया।
ज्ञात हो कि अब तक दिलीप संघाणी और बलवीर सिंह की जोड़ी ही क्रमशः अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष के पद पर काबिज़ थी। इफको के इतिहास में पिछली बार के चुनाव में ऐसा पहली बार हुआ था जब भारतीय जनता पार्टी ने दोनों शीर्ष पदों पर कब्जा जमाया था। हालिया संपन्न चुनाव में एक बार फिर इन दोनों भाजपा नेताओं की जोड़ी के ही फिर से चुने जाने को शीर्ष संस्थाओं में भाजपा के बढ़ते दबदबे के रूप में देखा जा रहा है।
केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद अलग से सहकारिता मंत्रालय का गठन और इस मंत्रालय की कमान गृह मंत्री अमित शाह को दिए जाने से ही यह समझा जाने लगा था कि भाजपा अब सहकारिता के क्षेत्र में अपना दखल और अपनी पैठ बढ़ाना चाहती है। सर्वोच्च सहकारी संस्थाओं में अपने लोगों को काबिज़ कराने शुरुआत भाजपा ने इफको से कर दी है।
बलवीर सिंह उत्तर प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक और शाहजहाँपुर के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। बलवीर सिंह ने 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी सहकारी संस्था पीसीएफ में भाजपा का खाता खोला था। 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद सहकारिता में भाजपा के लोगों को स्थापित करने का जिम्मा तत्कालीन संगठन मंत्री सुनील बंसल ने बलवीर सिंह को ही सौंपा था। बलवीर सिंह ने इस काम को बखूबी निभाकर मुलायम सिंह यादव के परिवार तथा समाजवादी पार्टी के दशकों से चले आ रहे वर्चस्व को 2017 के बाद खत्म करके सहकारिता में भाजपा का झंडा फहराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी तरह पूर्व सांसद दिलीप संघाणी भी गुजरात की मोदी सरकार में सहकारिता समेत कई मंत्रालयों में मंत्री रहे और इफको के चैयरमैन होने के साथ-साथ गुजरात की सबसे बड़ी सहकारी संस्था गुजकोमासोल के अध्यक्ष भी हैं।
इफको द्वारा पिछले दिनों नैनो उर्वरक की खोज और पेटेंट को कृषि क्षेत्र में बड़ी क्रांति माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अलग अलग मंचों से इस क्रांतिकारी खोज की तारीफ कर चुके हैं। दिलीप संघाणी और बलवीर सिंह के नेतृत्व में इफको द्वारा किये गए कामों का इनाम उन्हें दोबारा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाकर दिया गया है। बताते हैं कि इस चुनाव पर गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह बहुत पैनी नज़र बनाये हुए थे और इसी के चलते अंततः भाजपा ने एक बार फिर इस सबसे महत्वपूर्ण संस्था पर कब्जा जमा लिया है।