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बैंकों ने खाते में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर ग्राहकों से करीब 9000 करोड़ रुपये वसूले

नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) ने मंगलवार को संसद (Parliament) को बताया कि सरकारी बैंकों (Government banks.- PSBs) ने पिछले पांच सालों (2020-21 से 2024-25 तक) में ग्राहकों से “न्यूनतम औसत मासिक शेष” (Minimum Average Balance – MAB) न रखने पर करीब 9,000 करोड़ रुपये (8,932.98 करोड़ रुपये) का जुर्माना वसूला। यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में दी।

बैंकों ने अब रुख बदला
यह खुलासा ऐसे समय हुआ है जब हाल ही में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी कई अन्य सरकारी बैंकों के साथ जुड़कर इस जुर्माने को खत्म करने की घोषणा की। बैंक ने कहा कि यह कदम “ग्राहकों के लिए बुनियादी बैंकिंग सेवाओं को समानता, निष्पक्षता और बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने” के लिए है।

किन बैंकों ने खत्म किया जुर्माना?
वित्त मंत्रालय के अनुसार, इसी तिमाही से केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने भी ये जुर्माना हटा दिया है। देश का सबसे बड़ा बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), तो मार्च 2020 से ही यह जुर्माना नहीं ले रहा था।

ग्रामीण इलाकों पर विशेष ध्यान
वित्त राज्य मंत्री ने यह भी बताया कि वित्तीय सेवा विभाग (DFS) ने बैंकों से कहा है कि वे इस जुर्माने को कम करने या खत्म करने पर विचार करें, खासकर अर्ध-शहरी और ग्रामीण इलाकों के ग्राहकों को राहत देने के लिए।

किस बैंक ने सबसे ज्यादा कमाया?
जानकारी मुताबिक पांच साल में सबसे ज्यादा जुर्माना इंडियन बैंक ने वसूला। कुल रकम का पांचवां हिस्सा यानी 1,828.18 करोड़ रुपये। पंजाब नेशनल बैंक दूसरे स्थान पर रहा (1,662.42 करोड़ रुपये) और बैंक ऑफ बड़ौदा तीसरे (1,531.62 करोड़ रुपये)। इसके बाद केनरा बैंक है, जिसने 1,212.92 करोड़ रुपये कमाए। बैंक ऑफ इंडिया ने 809.66 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने 585.36 रुपये, बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने 535.20, यूनियन बैंक ने 484.75, पंजाब एंड सिंध बैंक ने 100.92 और इंडियन ओवरसीज बैंक ने 62.04 करोड़ रुपये कमाए।

जुर्माने में हुई बढ़ोतरी
2020-21: 1,142.13 करोड़ रुपये
2021-22: पिछले साल से 25% बढ़कर 1,428.53 करोड़ रुपये
2022-23: फिर 30% बढ़कर 1,855.43 करोड़ रुपये
2023-24: फिर 26% बढ़कर 2,331.08 करोड़ रुपये
2024-25: इस साल थोड़ी 7% की गिरावट आई और रकम रही 2,175.81 करोड़ रुपये

बैंकों पर दबाव
बैंकों का यह जुर्माना खत्म करने का फैसला ऐसे समय आया है जब उनके चालू खाता और बचत खाता (CASA) अनुपात पर दबाव है। ये खाते बैंकों के लिए पैसे जुटाने का सबसे सस्ता जरिया होते हैं। जून में जारी अपनी ताजा वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा था कि बैंकों की देयताओं (जमा राशि) में सस्ते CASA की बजाय महंगी सावधि जमा और डिपॉजिट सर्टिफिकेट्स (CDs) की हिस्सेदारी बढ़ रही है।

एसबीआई का अनुभव: भारतीय स्टेट बैंक (SBI), जो पिछले पांच साल से यह जुर्माना नहीं ले रहा, का कहना है कि इस कदम से पहली बार बैंक खाता खुलवाने वालों को काफी फायदा हुआ है।

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