जो बैंक ऋण देने में कठोर होंगे वे जिले में बैंकिंग नहीं कर पाएंगे – सांसद
रीवा : कलेक्ट्रेट के मोहन सभागार में जिला स्तरीय बैंक सलाहकार समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में सांसद श्री जनार्दन मिश्र ने कहा कि प्रशासन बैंकों को पूरा सहयोग दे रहा है। जब सभी बैंक अच्छा सहयोग ले रहे हैं तो केवल कुछ बैंक ही ऋण प्रकरण स्वीकृत और वितरित क्यों कर रहे हैं। हर बैंक अपनी जिम्मेदारी समझकर पात्र व्यक्तियों के ऋण प्रकरण मंजूर करे। जो बैंक ऋण देने में कठोर होंगे वे जिले में बैंकिंग व्यवसाय नहीं कर पाएंगे। सांसद ने आईसीआईसीआई बैंक को 29 सितम्बर तक लक्ष्य के अनुसार ऋण प्रकरण मंजूर करने के निर्देश दिए। बैठक में विधायक प्रतिनिधि गुढ़ तथा विधायक प्रतिनिधि देवतालाब ने भी बैंकों की कार्यप्रणाली के संबंध में कई प्रश्न उठाए।
बैठक में कलेक्टर मनोज पुष्प ने कहा कि रीवा तेजी से विकसित हो रहा है। यहाँ स्वरोजगार तथा उद्यम स्थापित करने के लिए अच्छे हितग्राही लगातार प्रयास कर रहे हैं। बैंक इन्हें सहयोग देकर उदारता से ऋण प्रकरण मंजूर करे। इससे बैंकों का व्यवसाय बढ़ेगा और जिले के ऋण-जमा अनुपात में वृद्धि होगी। अभी जिले का अनुपात लगभग 37 है। इसे मार्च 2023 तक हरहाल में 40 तक ले जाएं। बैंकों में प्राप्त होने वाली जमा राशि को ध्यान में रखकर आगामी 6 महीने में ऋण जमा अनुपात के सुधार की कार्ययोजना बनाएं। ऋण प्रकरण मंजूर करने में बैंकों की मनमानी सहन नहीं की जाएगी। जो बैंक रोजगार सृजन में सहयोग नहीं करेगा तथा ऋण प्रकरणों की स्वीकृति और वितरण में अनावश्यक देरी करेगा उनके वरिष्ठ अधिकारियों को कार्यवाही के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा।
कलेक्टर ने कहा कि हजारों पात्र किसान केसीसी के लिए बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं। यदि केसीसी ही लक्ष्य के अनुसार जारी कर दिए जाएं तो ऋण जमा अनुपात में सुधार हो जाएगा। जिले की अर्थव्यवस्था का आधार खेती है। कृषि क्षेत्र में प्राथमिकता से ऋण दें। उद्यम क्रांति योजना में बैंकों द्वारा सहयोग के कारण रीवा जिला प्रदेश में प्रथम स्थान पर है। इसे समय पर ऋण स्वीकृत एवं वितरित करके प्रथम स्थान पर बनाए रखें। प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना में भी बहुत छोटा सा ऋण देना है। हितग्राही को बिना परेशान किए इसे स्वीकृत करें। किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए 15 अक्टूबर तक प्रत्येक बैंक शाखा में शिविर लगाकर प्रकरणों का निराकरण करें। कलेक्टर ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया तथा पंजाब नेशनल बैंक के ऋण प्रकरणों के संबंध में लापरवाह रवैये पर कड़ी फटकार लगाई।
बैठक में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि जसविंदर सिंह ने कहा कि जिले का ऋण-जमा अनुपात 36.6 है। आरबीआई ने प्रत्येक जिले के लिए यह अनुपात 60 निर्धारित किया है। इसे बढ़ाने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड स्वीकृत करें तथा स्वसहायता समूहों को बैंक लिंकेज का लाभ दें। बैठक में नाबार्ड के प्रतिनिधि सुनील ढिकले ने कृषि क्षेत्र में प्राथमिकता से ऋण देने एवं पशुपालकों तथा मछली पालकों को केसीसी जारी करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि बैंक आउटसाइड फाइनेंसिंग न करें। बैठक में एलडीएम एसके निगम ने कहा कि जिले का ऋण-जमा अनुपात में हरहाल में बढ़ाया जाएगा। गत तिमाही में एमएसएमई सेक्टर में 40 प्रतिशत, कृषि क्षेत्र में 14 प्रतिशत तथा हाउसिंग क्षेत्र में लक्ष्यों का 12 प्रतिशत पूरा हुआ है। अन्य प्राथमिकता के क्षेत्र में उपलब्धि 51 प्रतिशत तथा प्राथमिकता के क्षेत्र में 102 प्रतिशत रही है। वर्तमान में बैंकों का एनपीए 12.51 प्रतिशत है। आरआरसी वसूली के 4136 प्रकरण लंबित हैं। स्वनिधि योजना में बैंकों से किसी भी तरह की कठिनाई होने पर तत्काल इसकी सूचना दें। बैठक में प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना सहित सभी रोजगारमूलक योजनाओं के प्रगति की समीक्षा की गई। बैठक में बताया गया कि उद्यम क्रांति योजना से अब तक बैंकों में 607 प्रकरण दर्ज हुए हैं। इनमें से बैंकों द्वारा 247 प्रकरण स्वीकृत कर 160 प्रकरणों में ऋण वितरित कर दिया गया है। बैठक में मध्यांचल ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक आरके जैन, महाप्रबंधक उद्योग यूबी तिवारी तथा बैंकों के जिला प्रबंधक एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।