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नही रहे बॉलीवुड के सुरों के राजा, बप्पी दा का हुआ निधन

मुंबई: बीते कई दिनों से पूरे मनोरंजन जगत में मौत का सिलसिला तेजी से बढ़ता जा रहा है, कुछ समय पहले लता जी के निधन से शोक की लहर दौड़ी, वहीं आज एक और सुरों के सरताज कहे जाने वाले बप्पी दा ने भी इस दुनिया को अलविदा बोल दिया है। बप्पी लहरी ने 69 की आयु में आखिरी सांस ली। अस्पताल के निदेशक डॉ दीपक नामजोशी ने मीडिया को कहा है- बप्पी लहरी को एक माह के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था और सोमवार को उन्हें छुट्टी भी दे दी गई थी लेकिन मंगलवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई और उनके परिवार ने एक डॉक्टर को उनके घर बलाया गया था। उन्हें फिर अस्पताल लाया गया। उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं थीं। उनका देहांत हो गया। आधी रात से कुछ समय पहले ओएसए (ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया) के कारण। इस दुखद खबर से मूवी इंडस्ट्री में मातम पसर गया है।

बप्पी लहरी को लोग प्यार से बप्पी दा कहकर पुकारते है। उन्होंने महज 3 वर्ष की उम्र से ही तबला बजाना शुरू कर दिया था जिसे देख उनके पिता अपरेश लहरी ने उन्हें और भी गुण सीखने में मदद की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बाॅलीवुड इंडस्ट्री को बप्पी दा ने एक नया म्यूजिक भी दिया है। उन्होंने हिंदी सिनेमा को रॉक और डिस्को म्यूजिक से रूबरू भी करवाया था। 70-80 के दशक में उन्होंने सभी को उनके गानों पर थिरकने को मजबूर भी कर चुके है।

बप्पी लहरी पाॅपुलर सिंगर एसडी बर्मन से इंस्पायर थे और 17 वर्ष की आयु में ही उन्होंने संगीतकार बनने का निर्णय कर लिया। वो एसडी बर्मन के गाने सुनते थे और रियाज भी किया करते थे। बतौर संगीतकार बप्पी ने अपने कैरियर की शुरूआती साल 1972 में रिलीज बंग्ला मूवी ‘दादू’ से की। उनकी पहली हिंदी मूवी जिसके लिए उन्होंने संगीत तैयार कर लिया है, वह थी नन्हा शिकारी (1973)। जिस मूवी ने उन्हें बॉलीवुड में स्थापित किया, वह ताहिर हुसैन की हिंदी मूवी, ज़ख्मी (1975) थी, जिसके लिए उन्होंने संगीत तैयार किया और एक पार्श्व गायक के रूप में पहचान बना ली है।

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