पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को देश एक अर्थशास्त्री के रूप में ही ज्यादा याद करता है। वो कहते हैं ना आप बहुत लंबे समय तक किसी को याद तभी रखते हैं, जब आप लीक से हटकर कुछ ऐसा कर जाते हैं। मनमोहन सिंह के लिए बात बिल्कुल फिट बैठती है। उन्होंने पीएम के कार्यकाल के दौरान सबसे बड़ी सफलता परमाणु समझौते के दौरान हासिल की।
आज मनमोहन सिंह का जन्मदिन है और भारत की अर्थनीति में उनकी भूमिका अहम रही है।
मनमोहन सिंह की कुछ खास बातें
– मनमाेहन सिंह एक प्रोफेसर रह चुके हैं। अर्थशास्त्र में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद उन्होंने कई सारी किताबें भी लिखीं। साल 1969 में वे भारत लौटे, इससे पहले वे यूएन में ट्रेड एंड डेपलेपमेंट के लिए काम कर रहे थे। यहां आने के बाद उन्होंने तीन साल तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स में प्रोफेसर के तौर पर अपना अनुभव बांटा।
हारना नहीं सीखा कभी, गरीबी को हराया
जो सफल होते हैं, वे लोग कड़ी मेहनत करते हैं। उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कई सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मनमोहन सिंह ने भी ऐसे ही कई सारी परेशानियां देखी हैं। ऐसे ही वे इतने सफल नहीं बने हैं। 12 साल तक एक गांव में रहने के बाद उन्होंने शहर की ओर रुख किया। बच्चों के लिए स्कूल जाना और शिक्षा लेना कितना जरूरी है, लेकिन सिंह ने स्कूल से शिक्षा की शुरुआत नहीं की और अगर स्कूल जाते भी थे तो उन्हें मीलों पैदल चलना होता था।
केरोसिन लैंप में की पढ़ाई
केरोसिन लैंप की रोशनी में मनमोहन सिंह ने अपनी पढ़ाई की। वे ऐसे परिवार से थे, जहां शिक्षा बहुत महंगी थी।
केंब्रीज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र की डिग्री हासिल करने के बाद उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली थी। वे अपने शिक्षकों के प्रिय थे और छात्रों में लोकप्रिय। उन्हें वहां कई सारे सम्मान मिले और साल 1955-1957 के बीच उन्हें स्कॉलरशिप दी गई। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने वाले मनमोहन सिंह ने अर्थशास्त्र में थिसिस जमा की।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर बनें
पीएम बनने के बाद भी वे अर्थशास्त्री के रूप में ही जाने जाते थे। जब आरबीआई ने रुपयों के लिए मॉनिटरी पॉलिसी बनाई थी, मनमोहन सिंह उस टीम का हिस्सा थे। वे साल 1976-1980 तक आरबीआई के डायरेक्टर रहे और बाद में गर्वनर भी बनें।
कभी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा
सिंह ने लोकसभा चुनाव में कभी जीत नहीं हासिल की। साल 2004 तक एक परंपरा थी कि प्रधानमंत्री जनता का प्रतिनिधि होता है इसलिए उसे लोकसभा से सदन में आना चाहिए। लेकिन दो बार के कार्यकाल में मनमोहन सिंह कभी लोकसभा चुनाव लड़े ही नहीं। एक बार लड़े तो दिल्ली से हार गए। इसके बावजूद उन्होंने देश का नेतृत्व किया।
महंगाई के आगे हार गए
जब मनमोहन पीएम थे उस वक्त महंगाई का सबसे बुरा दौर था। उनके सामने कई चुनौतियां थीं, लेकिन वक्त के आगे वे हार गए और देश की अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल मंडराने लगे।
सफल परमाणु समझौता
18 जुलाई 2006 में भारत और अमेरिका के बीच परमाणु समझौता हुआ। भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। ये मनमोहन सिंह की बड़ी सफलता मानी जाती है।