B’DAY SPCL: दूसरों की ठुकराई फिल्म कर के हिट हुए आयुष्मान खुराना
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फिल्म अंधाधुन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके अभिनेता आयुष्मान खुराना अपनी अगली फिल्म लेकर अपने चाहने वालों के सामने हैं। उनकी दूसरी फिल्मों की ही तरह ड्रीमगर्ल भी अपने विषय को लेकर शुरू से चर्चा में रही है।
ये परदे पर महिलाओं के कपड़े पहनकर आने की आपको कैसे सूझी?
ड्रीम गर्ल मेरे लिए काफी अलग फिल्म है। हमारे देश में रामलीला में सीता का किरदार अक्सर लड़के करते हैं। इस फिल्म के अंदर मैं उसी तरह का लड़का हूं जिसके अंदर एक खास टैलेंट है कि वह लड़की की आवाज भी निकाल सकता है। वह कॉल सेंटर में नौकरी शुरू करता है और लड़की की आवाज में लोगों से बात करता है।
इस फिल्म के किरदार की तैयारी आपके पिछले किरदारों से कितनी अलग रही?
शुरुआती दिनों में जब मैं रेडियो में आरजे का काम करता था। मैं वहां मजे लेने के लिए लड़की की आवाज में लोगों को फोन करता था। इसके अलावा मैंने ऐसे लड़कों के काफी वीडियो देखे जो लड़कियों की आवाज निकालते थे। फिल्म के निर्देशक कॉमेडी सर्कस और कॉमेडी नाइट्स में ऐसे किरदार लिख चुके हैं जहां काफी लड़के, लड़कियां बनते हैं। मैंने बचपन में रामलीला भी बहुत देखी हैं तो बहुत तैयारी की जरूरत नहीं पड़ी।
किसी भी फिल्म की कहानी चुनने का आपका आधार क्या होता है?
पहला, कहानी ऐसी हो जो पहले कभी हिंदी सिनेमा में बनाई ना गई हो। दूसरा, इसका विचार ऐसा हो कि जिसकी तरफ कोई भी आकर्षित हो जाए। तीसरा आधार यह है कि फिल्म अंत तक दर्शकों को बांधे रखे।
कहा जाता है कि इंसान को शायर बनाने में किसी सदमे या दर्द का हाथ होता है। आप भी खूब शेरो-शायरी करते हैं। क्या आप ऐसे ही किसी वजह का शिकार हुए?
मैं इसपर विश्वास नहीं करता। मुझे लगता है कि अगर आप हमेशा किसी हादसे के इंतजार में रहेंगे तो कभी कुछ लिख नहीं पाएंगे और बर्बाद हो जाएंगे। हर किसी के लिखने की प्रेरणा अलग होती है। मेरी प्रेरणा है कि अगर मैं जिंदगी में खुश हूं और सब सही चल रहा है, अच्छी नींद आ रही है, अच्छा खाना मिल रहा है तो मैं कुछ लिख सकता हूं, या फिर अभिनय कर सकता हूं। अच्छा लिखने के लिए दिल को धक्का लगना जरूरी नहीं है। युवाओं के लिए यह बहुत ही गलत धारणा है।
आप से पहले भी रंगमंच से फिल्मों में आने वाले कम कलाकार ही हिंदी सिनेमा में चोटी तक पहुंचे हैं, इसकी वजह आप क्या मानते हैं?
यह अपनी-अपनी सोच है कि किस तरह की फिल्में आपको पसंद आती है। कई बार होता है कि रंगमंच से आने वाले कुछ कलाकार कमर्शियल सिनेमा को तवज्जो नहीं देते। उन्हें लगता है कि थिएटर ही सब कुछ है। अगर आपने थिएटर भी किया है और कमर्शियल सिनेमा भी पसंद है तो ऐसी कोई दिक्कत नहीं आती।
आपने कई बार कहा है कि आप ऐसी कहानी चुनते हैं जो दूसरे छोड़ देते हैं। क्या इंडस्ट्री में आपके जैसी ही कोई अभिनेत्री भी दिखती है जो इसी तरह से कहानी का चुनाव करती हैं?
जी हां, भूमि पेडनेकर और तापसी पन्नू हैं जो लीक से हटकर फिल्में चुन रही हैं। हालांकि दूसरे एक्टर्स की छोड़ी फिल्में करने का सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है। बाजीगर और डर को कई लोगों ने पहले मना किया था फिर शाहरुख सर को यह फिल्म मिली। अक्सर लोग खतरा उठाने से डरते हैं लेकिन मजा तभी आएगा जब आप कुछ अलग करें क्योंकि दर्शक हर बार कुछ नया देखना चाहते हैं।
अपनी शख्सियत में आप और क्या जोड़ना चाहते हैं?
मैं एक एक्शन फिल्म करना चाहता हूं। अब तक मैंने वह नहीं की है लेकिन मुझे जल्दी नहीं है। जैसे मैं आर्टिकल 15 जैसी फिल्म अपने थिएटर के दिनों से करना चाहता था लेकिन मुझे सही वक्त सिनेमा में आने के सात साल बाद मिला। तो मुझे किसी चीज की जल्दी नहीं है। जब तक मुझे वह सही कहानी नहीं मिलती तब तक मैं वह नहीं करुंगा।