स्पोर्ट्स डेस्क : टोक्यो ओलंपिक के बारे में भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद ने फैसला लिया कि वो जापान में 23 जुलाई से खेले जाने वाले ओलंपिक में टीम के साथ नहीं जाएंगे. गोपीचंद ने ये फैसला इसलिए लिया है ताकि पुरुष एकल प्लेयर बी साई प्रणीत को ट्रेनिंग कराने वाले अगुस ड्वई सांतोसा के लिए जगह बन सके.
गोपीचंद के रहते ही भारत ने बैडमिंटन में दो पदक अपने नाम किये थे, इसमें लंदन ओलंपिक में सायना नेहवाल का कांस्य पदक और रियो ओलंपिक-2016 में पीवी सिंधु का रजत पदक था. गोपीचंद ने भारतीय ओलंपिक संघ के उस फैसले के बाद ये फैसला लिया जिसमें केवल पांच सदस्यीय स्टाफ को टोक्यो जाने की परमीशन दी है जिसमें तीन कोच और दो फिजियो भी हैं.
सिंधु इस टाइम गाचीबाउली स्टेडियम में कोरियाई कोच ताइ सांग पार्क के साथ ट्रेनिंग कर रही हैं वही प्रणीत सांतोसा के साथ काम कर रहे हैं.
डेनमार्क के माथियास बोए को चिराग और सात्विक की जोड़ी की देखरेख के लिए रखा गया है. टोक्यो ओलंपिक में भारत के चार बैडमिंटन प्लेयर खेलने वाले है. भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) के महासचिव अजय सिंघानिया ने बोला कि, एक कोटा ही बचा था इसलिए गोपीचंद ने बाहर रहने का फैसला लिया ताकि सांतोसा को जगह मिल सके जो महामारी के आने के टाइम से साई प्रणीत के साथ ट्रेनिंग कर रहे हैं.
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गोपीचंद ने न जाने का फैसला लिया है, तो अब भारतीय बैडमिंटन दल में नौ मेंबर होंगे जिसमें तीन विदेशी कोच भी होंगे हैं और दो फिजियो होंगे. इसके अलावा चार प्लेयर भी होंगे.
पिछले महीने बीएआई ने आईओए को एक लेटर लिखा था जिसमें उसने सात सदस्यीय सपोर्ट स्टाफ की परमीशन मांगी थी, लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल की वजह से और सपोर्ट स्टाफ का 33 फीसदी कोटा फिक्स होने की वजह से केवल पांच मेंबर्स की ही परमीशन मिल सकी. नियमों के अनुसार, ओलंपिक जाने वाले अधिकारी प्लेयर्स की तादाद के मैच एक तिहाई से अधिक नहीं हो सकते. खेल मंत्रालय हालांकि अतिरिक्त अधिकारी को जगह दे सकता है.