हरियाणा: भारत बंद का दिखा असर, बाजार व पेट्रोल पंप रहे बंद, चक्का जाम
चंडीगढ़ : केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान संगठनों की ओर से मंगलवार को भारत बंद का हरियाणा में व्यापक असर दिखाई दिया। बाजार से लेकर पेट्रोल पंप बंद रहे तो मंडियों में भी खरीद कार्य पूरी तरह ठप रहा।
रोडवेज यूनियनों ने किया चक्का जाम
रोडवेज यूनियनों की ओर से भी किसानों के समर्थन में चक्का जाम रखा गया। हालांकि चक्का जाम को लेकर रोडवेज यूनियन एकमत नहीं दिखाई दी, कुछ यूनियनों ने बसें चलाने का फैसला किया तो कुछ ने बंद का समर्थन किया। लंबे रूटों पर रोडवेज की सेवाएं बाधित रहीं।
ऑटो सर्विस पूरी तरह बंद
मंगलवार को शुरुआती क्षणों में भारत बंद का हरियाणा में पूरा असर दिखाई दिया। सुबह 11 बजे तक सभी बाजार, मार्केट, मंडी, पेट्रोल पंप से लेकर शहरों में ऑटो सर्विस पूरी तरह बंद रहे। सहकारी परिवहन समितियों ने भी किसानों के समर्थन में बसें बंद रखी। इसके साथ ही प्रदेश के कई जिलों में ग्रामीणों ने लिंक मार्गों पर जाम लगाकर आवाजाही बंद रखा। कुरुक्षेत्र में भारत बंद का पूरा असर देखने को मिला।
पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा पंहुचे बाजार में
पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने बाजार में पहुंचकर दुकानदारों से दुकानें बंद करने का आग्रह किया। वहीं पलवल में भी भारत बंद का असर दिखाई दिया, यहां पूर्व मंत्री करण दलाल ने बाजारों में पहुंचकर बंद को सफल बनाने के लिए दुकानदारों से समर्थन देने की अपील की। पलवल में राष्ट्रीय मुक्केबाज प्रियंका तेवतिया ने किसानों का समर्थन किया।
सोनीपत जिले में बंद का व्यापक असर
सिंघु बार्डर के नजदीक सोनीपत जिले में बंद का व्यापक असर देखने को मिला। किसानों की अपील सोनीपत में काफी असरदार साबित हुई। इनेलो की ओर से जिले के सभी लिंक मार्गों को बंद किया गया तो बाजार व मार्केट पूर्णरूप से बंद रहे। रोहतक, जींद, कैथल, हिसार सहित कई अन्य जिलों में बंद असरदार रहा।
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हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस व इनेलो की ओर से बंद का समर्थन किया गया है। हालांकि कई शहरों में बंद का असर नहीं दिखा, सुबह ही दुकानदारों ने दुकानें खोल दी। बंद को देखते हुए हरियाणा पुलिस पूरी तरह अलर्ट है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राकेश बैंस का कहना है कि भारत बंद का हरियाणा में हर वर्ग को समर्थन मिला है। किसानों के समर्थन में जिस तरह हर वर्ग खड़ा हुआ है, उससे सरकार बैकफुट पर आ गई है। 9 दिसम्बर को होने वाली बातचीत में सरकार को कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला लेना ही होगा।
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