काशी में उतरा देवलोक, गूंजा हरहर महादेव, गौरा संग ब्याहे गए भूतनाथ
हाथी-घोड़ा बैंड पार्टी के साथ सड़कों पर दिखा जनसैलाब, शिवालयों में आस्था का अभिषेक, बाबा विश्वनाथ धाम में लाखों श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक
वाराणसी : भक्ति से शक्ति है, शक्ति से संसार है। त्रिलोक में है जिसकी चर्चा, महादेव का त्योहार है महाशिवरात्रि। शहर हो या देहात मंगलवार को हर कोना हर-हर महादेव और भगवान शिव के जयघोष से गूंज उठा। मंदिरों और शिवालयों में शिव भक्तों की आस्था का ज्वार उमड़ पड़ा। हर मंदिर में भगवान शिव की आराधना के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। हाथों में कलश लिए बच्चों, महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गों ने लंबी कतार में लगकर अपनी बारी की प्रतीक्षा की और नंबर आते ही जलाभिषेक किया। भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी में आस्था के उफान का आलम यह था कि कतार दशाश्वमेध घाट स्थित गंगा तट तक जा पहुंची। महाशिवरात्रि से पहले ही भक्तों का रेला काशी पहुंच चुका था। और पौ फटते ही आस्थावानों के जयकारे और उद्घोष के साथ शिवालयों पर आस्था की कतार दिखने लगी।
जलाभिषेक का दौर जब शुरु हुआ तो लगा मानो आस्था का पूरा सागर ही उमड़ पड़ा हो। बाबा विश्वनाथ दरबार में लाखों की संख्या में भक्तों ने मत्था टेका। चहुंदिश बोल बम और हर हर महादेव के नारों ने काशी को पूरी तरह से शिवमय कर दिया। बाबा के भक्तों ने बेलपत्र और जल के साथ बाबा का अभिषेक किया तो काशी विश्वनाथ परिसर आस्था से ओत प्रोत हो उठा। भीड़ का आलम यह था कि एक लाइन चौक थाने से होते हुए नीचीबाग के आगे तक नजर आई तो दूसरी लाइन बांसफाटक से गोदौलिया होते दशाश्वमेध घाट तक पहुंच गई। गोदौलिया और दशाश्वमेध के साथ ही गंगा द्वार से बाबा दरबार तक अनवरत कतार दिन चढ़ने तक मानो कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी। सभी प्रमुख द्वारों से लोगों के आने और दर्शन पूजन व जलाभिषेक का क्रम जारी रहा।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में शिवरात्रि पर सायंकाल तक 3.20 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन कर लिया था। बीते साल 2021 में रात तक 2.50 लाख लोगों दर्शन किए थे। आमतौर पर हर साल श्रद्धालु संख्या दो लाख तक निबट जाती थी। वहीं पंचक्रोशी परिक्रमा के लिए भी लाखों की भीड़ उमड़ी और हर हर महादेव की काशी की गलियां गूंज उठीं। शाम तक मंदिरों में भक्तों की भीड़ कम नहीं हुई। आस्था का सागर ऐसा उमड़ा कि गंगा घाट से लेकर बाबा दरबार तक मानो लाखों की भीड़ लगातार सड़कों पर रेंग रही हो। वहीं गंगा द्वार से बाबा दरबार तक के लिए भी आस्थावानों का आना शुरू हुआ तो पहली बार शिवरात्रि पर गंगा और बाबा दरबार एकाकार हो उठे। गंगा स्नान करने के बाद सीधे वहां से जल लेकर बाबा दरबार तक आस्थावान पहुंचे और बाबा का गंगा जल से अभिषेक कर खुद को धन्य महसूस किया।
पहली बार विश्वनाथ धाम कारीडोर में आस्थावानों को पर्याप्त जगह दर्शन पूजन के लिए मिली तो बाबा दरबार के आंगन में हजारों श्रद्धालु परिसर की भव्यता को निहारते नजर आए। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक नए कलेवर में सजे-धजे बाबा विश्वनाथ की झलक पाने के लिए भोर से लेकर रात तक श्रद्धालु बेताब रहे। उत्सव, उल्लास से भरी काशी का हर कोना शिवमय हो गया। सडक गलियां और घाटों में मानव श्रंखला की अनगिनत कडियों से बिना वाहन भी ट्रैफिक जाम सरीखा नजारा दिखा। उधर, ग्रामीण अंचलों में भक्तों ने बेल-पत्र, दूध, धतूरा, रुद्राक्ष की माल, दही आदि शिवलिंग पर चढ़ाकर शिव भगवान की पूजा की। मंदिरों एवं घरों में सुबह से शुरु हुआ रुद्राभिषेक देर शाम तक चला। वहीं बाबा दरबार से लेकर कैथी महादेव, रामेश्वर महादेव और सारंगदेव मंदिर में आस्था का रेला देर रात से ही उमड़ता रहा।