BHU के चीफ प्रॉक्टर ने दिया इस्तीफा, कुलपति ने किया मंजूर
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छेडख़ानी के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रहीं छात्राओं पर लाठीचार्ज के मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर प्रो0 ओ एन सिंह इस्तीफा दे दिया है। विश्वविद्यालय के सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी डॉ. राजेश सिंह ने कल मध्य रात्रि प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी। विज्ञप्ति के मुताबिक प्रो. सिंह ने कल देर रात अपना इस्तीफा कुलपति प्रो. गिरीश चंद त्रिपाठी को सौंपा, जिसे उन्होंने तत्काल स्वीकार कर लिया है। प्रो. त्रिपाठी का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन घटना की जांच कर रही पुलिस सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को पूरा सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि बीएचयू परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जा रहे हैं। महिला छात्रावासों में महिला सुरक्षा कर्मियों की तैनाती शीघ की जाएगी और पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरे एवं रात्रि के समय प्रकाश की व्यवस्था की जाएगी।
इससे पहले उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी. के. दीक्षित की अगुवाई में एक न्यायिक समिति गठित कर पूरे मामले की जांच कराने की घोषणा की थी। कल वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आर के भारद्वाज ने निष्पक्षता एवं प्रभावी पर्यवेक्षण के मद्देनजर हिंसक घटनाओं एवं इससे जुड़े सभी संबंधित मामले की जांच की जिम्मेदारी अपराध शाखा को सौंपी थी। भारद्वाज का कहना है कि साक्ष्य जुटाने के लिए पुलिस की साइबर सेल की मदद ली जाएगी, ताकि हिंसा फैलाने वाले उपद्रवियों और साजिशकर्ताओं पर कानूनी कार्रवाई की जा सके। गौरतलब है कि छात्राओं पर 23 सितम्बर की रात लाठीचार्ज एवं उसके बाद हिंसक घटनाएं हुईं थीं और अगले दिन 24 सितम्बर को स्थानीय लंका थाने में एक हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
बीएचयू परिसर में मनचलों से परेशान छात्राएं गत 21 सितम्बर की शाम छेडख़ानी की ताजा घटना की शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन से की थी लेकिन आंदोलनकारी छात्राओं का आरोप है कि प्रशासन ने तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की और मामले को टाल दिया। इसके बाद दोषियों पर कार्रवाई एवं अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर 22 सितंबर की सुबह से कुलपति से मिलने के लिए लगातार धरने पर बैठीं रहीं। बड़ी संख्या में धरना-प्रदर्शन कर रही छात्राओं के आंदोलन के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 22 सितम्बर की देर शाम विश्व प्रसिद्ध दुर्गाकुंड मंदिर एवं तुलसी मानस मंदिर के पूर्व निर्धारित यात्रा मार्ग में परिवर्तन करना पड़ा था।