BHU बवालः जानिए क्या है प्रदर्शनकारी छात्राओं की मांग
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की घटना के खिलाफ सैकड़ों स्टूडेंट्स ने रविवार को यूनिवर्सिटी प्रशासन के बर्बर रवैये और पुलिसिया लाठीचार्ज के खिलाफ साइलेंट मार्च निकाला.
बीएचयू महिला महाविद्यालय के स्टूडेंट्स ने इस साइलेंट प्रोटेस्ट मार्च का नेतृत्व किया. पिछले तीन दिनों से महिला महाविद्यालय गर्ल्स स्टूडेंट के लिए सुरक्षा की मांग को लेकर उबाल पर है. पिछली रात पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने के बाद रविवार की सुबह छात्र एक बार फिर सड़कों पर उतरे.
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मार्च में शामिल होने वाले एक छात्र ने कहा कि पुलिस ने आज भी हमारा पीछा किया.
क्या है प्रदर्शनकारी छात्राओं की मांग
हालांकि प्रदर्शन कर रही लड़कियों की मांग बेहद सामान्य है. कहा जा सकता है कि छात्राएं बेसिक सेफ्टी की मांग कर रही हैं और ऐसी सुविधाएं हर यूनिवर्सिटी में होनी चाहिए. बीएचयू की एक छात्रा आकांक्षा सहाय ने कहा कि हमारी मांग बिल्कुल सामान्य है. हम कैंपस में सुरक्षित महसूस करना चाहते हैं. यूनिवर्सिटी प्रशासन को ये सुनिश्चित करना चाहिए.
आकांक्षा ने आगे कहा कि कैंपस में लाइट की समुचित व्यवस्था नहीं है. कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है, यहां तक की कॉलेज में भी. कोई भी इन तथ्यों को चेक कर सकता है. सहाय ने कहा, ‘हम बीएचयू कैंपस में समुचित लाइटिंग की व्यवस्था चाहते हैं. सीसीटीवी लगवाया जाए. पुरुष छात्रों, स्टॉफ और कार्यरत अधिकारियों को लैंगिक रूप से संवेदनशील बनाया जाए. बस इतना ही, हम कुछ ज्यादा नहीं मांग रहे हैं.’
कैंपस में लाठीचार्ज
पुलिस द्वारा तीन दिन से चल रहे अहिंसक प्रदर्शन पर लाठीचार्ज से कैंपस की लड़कियां बेहद आक्रोशित हैं. बीएचयू की एक और छात्रा आकांक्षा सिंह ने कहा, ‘हमारा प्रदर्शन अहिंसक और शांतिपूर्ण था. हमने हिंसा का इस्तेमाल नहीं किया और पुलिस ने लड़कियों को पीटना शुरू कर दिया. पुरुष पुलिस अधिकारियों ने महिला महाविद्यालय की लड़कियों पर लाठीचार्ज किया. लड़कियों को पीटा गया.’
आकांक्षा सिंह ने पुलिस के उन दावों को खारिज किया जिसमें कहा गया था कि स्टूडेंट्स ही पुलिस से भिड़ गए. उन्होंने आजतक को बताया कि जिन लोगों ने परेशानियां खड़ी की, हिंसा भड़काई, वे सब बाहरी थे. वे सब बीएचयू के स्टूडेंट्स भी नहीं थे.’
उन्होंने कहा कि पुलिस ने महिला महाविद्यालय की लड़कियों को रात के 1 बजे तक पीटा.
वाइस चांसलर के साथ कोई बैठक नहीं
आकांक्षा सिंह ने कहा, ‘हम अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. जिन 10 स्टूडेंट्स को वीसी ने बुलाया था उनके साथ क्या हुआ. वीसी ने आवाज उठाने को लेकर उन्हें चेतावनी दी. छात्रों को संस्पेंड कर दिया गया, बिना उनका पक्ष सुने. मामला यही खत्म हो गया. हम पुरानी लाइन पर नहीं चलना चाहते.’
यही नहीं स्टूडेंट्स गुरुवार को एक छात्रा के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना को लेकर बीएचयू प्रशासन के रवैये पर भी सवाल उठा रहे हैं. बता दें कि छेड़छाड़ की घटना पर पीड़ित छात्रा ने जब शिकायत की, तो बीएचयू प्रशासन का जवाब था कि ‘शाम के 6 बजे के बाद आप बाहर क्या कर रही थीं.’
कैसे शुरू हुआ छात्राओं का आंदोलन
बैचलर ऑफ फाइन ऑर्ट्स की एक छात्रा ने गुरुवार को शिकायत दर्ज कराई कि बाइक सवार तीन मनचले युवकों ने उसके साथ छेड़छाड़ की, जब वह बीएचयू कैंपस स्थित अपने कुंदन देवी हॉस्टल लौट रही थी. मनचलों ने उसे गालियां दी और शारीरिक रूप से छेड़छाड़ की. छात्रा के प्रतिरोध करने पर मनचले फरार हो गए.
इस मामले में शिकायत दर्ज कराने वाली और विरोध प्रदर्शन कर रही लड़कियों का कहना है कि छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न हुआ है, जबकि अधिकारियों का कहना था कि छात्रा के साथ ईव टीजिंग हुई है. पीड़ित का कहना था कि एक गॉर्ड घटनास्थल से कुछ ही दूर खड़ा था, लेकिन उसने मनचलों को पकड़ने के लिए कुछ नहीं किया.
इसके बाद महिला महाविद्यालय की छात्राएं इस मामले को लेकर हॉस्टल की वॉर्डन के पास गईं. लेकिन, लड़कियों की सुरक्षा के मामले को गंभीरता से लेने के बजाय वॉर्डन ने इसके लिए पीड़ित छात्रा को ही दोषी ठहरा दिया.
वॉर्डन के जवाब के बाद छात्राएं धरने पर बैठ गईं. वॉर्डन ऑफिस के बाहर छात्राओं ने गुरुवार को ही धरना शुरू कर दिया. गुरुवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी में थे, लड़कियों ने मार्च निकाला और लंका गेट स्थित सिंह द्वार पर प्रदर्शन किया.
शनिवार रात तक लड़कियों का प्रदर्शन जारी था, जब पुलिस ने लाठीचार्ज किया और कई सारे छात्रों को घायल कर दिया, इसमें महिला छात्राएं भी थीं. दिलचस्प ये है कि बीएचयू प्रशासन ने एक बयान जारी कर छात्राओं के इस प्रदर्शन को राजनीतिक करार दिया है, जिसके जरिए बीएचयू की छवि को खराब करने का प्रयास किया जा रहा है.