यूक्रेन युद्ध के अंत की हुई शुरूआत, जेलेंस्की के हाथ में बाइडेन देंगे ‘ब्रह्मास्त्र’, जानिए अब क्या करेंगे पुतिन?
कीव : रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जब सैन्य अभियान शुरू किया था, तो उनका लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा दो हफ्तों के अंदर यूक्रेन को जीतकर वापस आने का था। लेकिन, रूस यूक्रेन की जमीन पर लड़ाई में ऐसा उलझा, कि चौथे महीने की शुरूआत होने के बाद भी पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है, कि यूक्रेन संकट आखिरकार कब खत्म होगा। हालांकि, अब कुछ कुछ संकेत मिलने लगे हैं, कि अगर रूस का डोनबास ऑपरेशन कामयाब हो जाए, तो यूक्रेन युद्ध के अंत की शुरूआत यहां से हो सकती है। डोनबास से युद्ध के अंत की शुरूआत सैनिकों की शक्ति के हिसाब से देखें, तो रूस ने अपने 190 बटालियल टेक्टिकल ग्रुप्स यानि बीटीजी में से 110 को यूक्रेन युद्ध में उतार दिया था और इन सैनिकों का लक्ष्य उस क्षेत्र को यूक्रेन से पूरी तरह से अलग करना, जिसे यूक्रेनियन सेना ‘संयुक्त सेना ऑपरेशन’ कहते हैं, और जिस क्षेत्र को पूरी दुनिया डोनबास के नाम से जानती है।
रूसी सैनिकों का इरादा डोनबास में यूक्रेनी सेना को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर देने की है, हालांकि, रूसी सेना का ऑपरेशन का धीमा चला है और इस ऑपरेशन में रूस को भारी नुकसान भी हुआ है। हालांकि, अब तक रूस की सफलता को देखें, तो 27 मई को लंबे समय के संघर्ष के बाद लाइमैन शहर रूस के कंट्रोल में चला गया और लिसीचांस्क के सेवेरोडोनेट्स्क और उसके जुड़वां शहर (एक नदी के पार) पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए लड़ाई चल रही है। हालांकि, पिछले कुछ हफ्तों से रूस को कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है, लेकिन कुछ कुछ जगहों पर नियंत्रण स्थापित हुआ है।
रूस सैनिकों की लड़ाई कोई चालाकी भरी नहीं है और ना ही अब उम्मीद भरी है, बल्कि रूसी सैनिक तोपखानों से गोलों की बरसात करते हैं, ट्रेंच सिस्मट के जरिए इमारतों पर बमबारी करते हैं और फिर सड़कों पर लड़ाई लड़ते हैं। लेकिन, रूसी सैनिकों को अत्यधिक विनाशकारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है और उसके काफी सैनिक मारे गये हैं। कई रिपोर्ट्स में तो यहां तक दावे किए गये हैं, कि अफगानिस्तान में 10 सालों की लड़ाई में जितने रूसी सैनिक मारे गये थे, उससे ज्यादा रूसी सैनिक 24 फरवरी के बाद यूक्रेन में मारे गये हैं। पश्चिमी मीडिया रिपोर्ट्स में तो यहां तक दावे किए गये हैं, कि अब तक यूक्रेन में 40 हजार रूसी सैनिक घायल होकर या अपनी जान देकर युद्ध से अलग हो चुके हैं।
रूसी सैन्य उपकरण को भी भारी नुकसान यूक्रेन युद्ध को लेकर कई रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि रूसी सेना को इतना नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई करने में उसे कई दशक लग जाएंगे एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन युद्ध में रूस के कम से कम 736 टैंक, 1,200 से अधिक बख्तरबंद लड़ाकू वाहन और पैदल सेना से लड़ने वाले वाहन बर्बाद हो चुके हैं। इसके साथ ही 27 लड़ाकू विमान और कम से कम 42 हेलीकॉप्टर भी ध्वस्त हो चुके हैं। खासकर टैंक और बख्तरबंद वाहनों की सबसे ज्यादा बर्बादी होने की संभावना है।
वहीं, काला सागर में रूस के कम से कम दो युद्घपोत भी ध्वस्त किए जा चुके हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं, कि क्या रूसी सेना ‘बिखड़’ रही है। हालांकि, युद्ध खत्म होने के बाद ही आखिरी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है, लेकिन ये तय है, कि रूस को भारी नुकसान हो चुका है, लिहाजा अब रूस रक्षात्मक लड़ाई लड़ने लगा है। Expand यूक्रेन को भी भयावह नुकसान युद्ध में यूक्रेनियन भी भयावह नुकसान उठा रहे हैं। 22 मई को यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा था कि, हर दिन 50 से 100 सैनिक मारे जा रहे हैं। वहीं, कई स्वतंत्र रिपोर्ट में कहा गया है कि, यूक्रेन के भी हजारों सैनिक मारे जा चुके हैं।
हालांकि, यूक्रेन के कितने सैनिक मरे हैं, इसको लेकर अभी तक कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं दिया गया है। हालांकि, जेलेंस्की ने 27 मई को अपने शाम के संबोधन में कहा था कि, ‘अगर कब्जा करने वालों को लगता है कि लाइमैन और सेवेरोडोनेस्टस्क उनके होंगे, तो वे गलत हैं। डोनबास यूक्रेन का ही हिस्सा रहेगा’। दूसरी ओर, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि डोनबास “बिना शर्त प्राथमिकता” में शामिल है। यह एक गतिरोध है, और इससे बाहर निकलने का केवल एक ही रास्ता है: निरंतर लड़ाई। युद्ध लंबे समय तक चलने की संभावना है’।