नई दिल्ली: केंद्रीय खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती महासंघ की नई संस्था की मान्यता रद्द कर दी है। मंत्रालय ने WFI के नवनियुक्त अध्यक्ष संजय सिंह को भी निलंबित कर दिया है। नए अध्यक्ष संजय सिंह ने घोषणा कर दी थी कि अंडर 15 और अंडर 19 के मुकाबले गोण्डा में होंगे, जबकि इसके लिए नियमों का पालन नही किया गया। इस वजह से खेल मंत्रालय ने यह कार्रवाई की। खेल मंत्रालय ने नवनियुक्त अध्यक्ष संजय सिंह द्वारा लिए गए सभी फैसलों को भी निरस्त करने का फैसला किया है।
खेल मंत्रालय का बयान
खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘नए निकाय ने डब्ल्यूएफआई संविधान का पालन नहीं किया। हमने महासंघ को बर्खास्त नहीं किया है बल्कि अगले आदेश तक निलंबित किया है। उन्हें बस उचित प्रक्रिया और नियमों का पालन करने की जरूरत है।” सूत्र ने निलंबन के कारणों के बारे में बताते हुए कहा, ‘‘डब्ल्यूएफआई के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने 21 दिसंबर 2023 को अध्यक्ष चुने जाने के दिन ही घोषणा की कि कुश्ती के लिए अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप साल खत्म होने से पहले ही उत्तर प्रदेश के गोंडा के नंदिनी नगर में होगी।”
प्रावधानों का पालन नहीं किया गया
उन्होंने कहा, ‘‘यह घोषणा जल्दबाजी में की गई है। उन पहलवानों को पर्याप्त सूचना दिए बिना जिन्हें उक्त राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना है। डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों का पालन भी नहीं किया गया।” मंत्रालय के सूत्र ने कहा, ‘‘डब्ल्यूएफआई के संविधान की प्रस्तावना के नियम 3 (ई) के अनुसार, डब्ल्यूएफआई का उद्देश्य अन्य बातों के अलावा कार्यकारी समिति द्वारा चयनित स्थानों पर यूडब्ल्यूडब्ल्यू (यूनाईटेड वर्ल्ड रेस्लिंग) के नियमों के अनुसार सीनियर, जूनियर और सब जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित करने की व्यवस्था करना है।”
पहलवानों ने जताई थी चिंता
बता दें कि, गुरुवार को डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष चुने गए संजय सिंह को पूर्व WFI अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह का करीबी माना जाता है। संजय सिंह को अध्यक्ष चुने जाने के बाद पहलवानों ने इस पर आपत्ति जताई थी। पहलवानों का कहना था कि वह बृजभूषण शरण सिंह के करीबी हैं और ऐसे में डब्ल्यूएफआई में किसी भी तरह के सुधार की उम्मीद नजर नहीं आती। सिंह के अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद रियो ओलंपिक में पदक जीतने वाली रेसलर साक्षी मलिक ने खेल से संन्यास लेने की घोषणा कर दी थी। वहीं, बजरंग पुनिया ने अपना पद्म श्री भी लौटा दिया था।