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लोकसभा चुनाव से पहले गुजरात में कांग्रेस को बड़ा झटका, राज्यसभा सांसद नारण राठवा BJP में शामिल

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले गुजरात में कांग्रेस को तब एक बड़ा झटका लगा जब उसके राज्यसभा सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री नारण राठवा अपने बेटे और कई समर्थकों के साथ मंगलवार को यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। गुजरात के छोटा उदयपुर से आदिवासी नेता राठवा का राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्यकाल इस साल अप्रैल में समाप्त हो जाएगा। वह पांच बार लोकसभा सदस्य चुने जा चुके हैं। वह पहली बार 1989 में, इसके बाद 1991, 1996, 1998 और 2004 में लोकसभा सदस्य बने।

राठवा के बेटे संग्रामसिंह ने 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति (एसटी)-आरक्षित छोटा उदयपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन वह जीत नहीं पाए थे। वह एक कार्यक्रम में अपने पिता और बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए। नारण राठवा 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में रेल राज्य मंत्री थे और 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रामसिंह राठवा से हार गए थे।

भाजपा की गुजरात इकाई के प्रमुख सी आर पाटिल ने प्रदेश मुख्यालय ‘कमलम’ में राठवा और अन्य को भगवा अंगवस्त्रम और टोपी भेंट कर उन्हें पार्टी में शामिल किया। बाद में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए राठवा ने कहा कि उनके मन में कांग्रेस के प्रति कोई नाराजगी नहीं है, लेकिन उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला इसलिए किया ताकि राज्य का आदिवासी क्षेत्र विकास यात्रा में पीछे न रहे और तेजी से और बिना किसी बाधा के आगे बढ़े।

राठवा ने कहा, ”मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कामकाज के तरीके से प्रभावित हूं, जो मैंने छह साल तक राज्यसभा सदस्य के रूप में देखा… हम एकसाथ और बिना किसी विरोध के काम करना चाहते हैं ताकि ऐसे सभी विकास कार्य तीव्र गति से पूरे हो सकें और आदिवासी क्षेत्र विकास की यात्रा में पीछे नहीं रहे।” कांग्रेस के एक अन्य पूर्व नेता धर्मेंद्र पटेल भी उसी कार्यक्रम में भाजपा में शामिल हुए। उन्होंने अहमदाबाद की अमराईवाडी सीट से 2022 का राज्य विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे।

पटेल ने कहा कि वह छह साल पहले भाजपा में थे और यह उनके लिए एक तरह की “घर वापसी” है। उन्होंने भाजपा में शामिल होने के बाद मीडियाकर्मियों से कहा, “कांग्रेस के साथ पिछले छह वर्षों में, मुझे एहसास हुआ कि पार्टी में सत्तारूढ़ पार्टी की दिशा और दृष्टि का अभाव है।”

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