वाराणसी से बड़ी खबर, श्रंगार गौरी मंदिर में हर रोज़ पूजा की याचिका जायज़
वाराणसी ज़िला कोर्ट ने सुनाया फ़ैसला, याचिका सुनवाई योग्य, अब 22 सितंबर को होगी अगली सुनवाई
वाराणसी : ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी प्रकरण में पांच महिलाओं की ओर से दाखिल वाद पर सोमवार को जिला जज डाॅ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बड़ा फैसला दिया है। अदालत ने वादी पक्ष की अपील स्वीकार करके प्रतिवादी पक्ष की याचिका खारिज करते हुए कहा कि मामला सुनने योग्य है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। खास बात यह रही कि न्यायालय में फैसले के दौरान मुस्लिम पक्ष मौजूद नहीं रहा। अदालत का फैसला आते ही वादी पक्ष की महिलाओं के साथ अधिवक्ताओं ने भी खुशी जाहिर की। उन्होंने इसे हिन्दू पक्ष की जीत माना है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि न्यायालय से एएसआई सर्वे और शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग भी करेंगे।
इसके पहले सोमवार को अपरान्ह एक बजे दोनों पक्षों के अधिवक्ता और वादी कुल 62 लोगों को अंदर मौजूद रहने की अनुमति मिली थी। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने वाद को जनहित याचिका जैसा व प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट ज्ञानवापी को वक्फ संपत्ति समेत अन्य दलीलों के साथ मुकदमे को सुनने योग्य नहीं बताया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश्व की अदालत में आर्डर 7 रूल नंबर 11 के तहत आज वाद के पोषणीयता पर सुनवाई हुई। पिछले वर्ष सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन की मांग को लेकर वादी राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने वाद दाखिल किया था। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने प्रार्थनापत्र देकर वाद की पोषणीयता पर सवाल उठाया था। अदालत ने प्रतिवादी की अर्जी दरकिनार करते हुए सुनवाई की और ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराकर रिपोर्ट तलब कर ली। इसी दौरान प्रतिवादी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जिला जज की अदालत में 26 मई से सुनवाई शुरू हुई।
फैसले से नाराज दिखे मुस्लिम पक्षकार
कोर्ट के फैसले से मुस्लिम पक्षकाार नाराज दिखे। मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा ये फैसला न्यायोचित नहीं है, हम फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। उन्होंने कहा कि जज साहब ने संसद के कानून को दरकिनार कर दिया लेकिन उपरी अदालत के दरवाजे हमारे लिए खुले हैं। कहा कि न्यायपालिका आपकी है, आप संसद के नियम को नही मानेंगे, सब लोग बिक गए हैं।