बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायपुर और बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी को बड़ी राहत दी है। दरअसल, स्मार्ट सिटी कंपनी ने नए प्रोजेक्ट के लिए टेंडर जारी करने और काम शुरू करने की अनुमति मांगी थी। कंपनी की तरफ से यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार का स्पष्ट आदेश है कि स्मार्ट सिटी का काम जून 2023 तक पूरा करना है। ऐसे में काम शुरू नहीं होने से रायपुर और बिलासपुर को मिली राशि लेप्स हो जाएगी। कोर्ट ने स्मार्ट सिटी कंपनी की मांग को स्वीकार कर लिया है।
हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस अरूप गोस्वामी और जस्टिस गौतम चौरडि?ा की डिवीजन बेंच ने पिछली सुनवाई के दौरान बिलासपुर और रायपुर स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिवक्ता को यह निर्देश दिए थे कि, वह स्पष्ट रूप से यह बताएं कि कौन- कौन से ऐसे प्रोजेक्ट हैं या कार्य हैं जिनका वर्क आॅर्डर जारी किए जाने का स्टेज आ चुका है। दरअसल, कंपनी ने जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के सामने यह आवेदन लगाया था कि कंपनी के बहुत सारे प्रोजेक्ट और कार्य टेंडर स्टेज पर है। लेकिन, कोर्ट से अनुमति नहीं मिलने के कारण न तो टेंडर जारी हो पा रहा है और न ही काम शुरू हो रहा है। कोर्ट के निर्देश पर सोमवार को स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिवक्ता सुमेश बजाज ने नए प्रोजेक्ट की सूची प्रस्तुत कर बताया कि केंद्र सरकार का स्पष्ट आदेश है कि स्मार्ट सिटी का काम हर हाल में जून 2023 तक पूरा करना है। ऐसे में केंद्र सरकार से मिली राशि 31 मार्च के बाद लैप्स हो जाएगी। डिवीजन बेंच ने स्मार्ट सिटी की मांग को स्वीकार करते हुए नए प्रोजेक्ट के लिए टेंडर जारी कर काम शुरू करने की अनुमति दे दी है।
मामले की सुनवाई के दौरान बताया गया कि नगर निगम क्षेत्र में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के सभी काम के लिए मेयर इन काउंसिल और सामान्य सभा की अनुमति से किया जा रहा है। कोर्ट को नगर निगम की तरफ से भी बताया गया कि सामान्य सभा की बैठक और एमआईसी के अनुमोदन के बाद ही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम हो रहा है। सोमवार को सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सुमेश बजाज, राज्य सरकार की ओर से हरप्रीत अहलूवालिया, केंद्र सरकार की ओर से रमाकांत मिश्रा के साथ ही मेयर इन काउंसिल और सामान्य सभा की ओर से अधिवक्ता गण अशोक वर्मा, हर्षवर्धन अग्रवाल और सुदीप अग्रवाल उपस्थित रहे।
अधिवक्ता विनय दुबे ने अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और गुंजन तिवारी के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है। बिलासपुर और रायपुर नगर में कार्यरत स्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनियों को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि इन्होंने निर्वाचित नगर निगमों के सभी अधिकारों और क्रियाकलाप का असंवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया है। जबकि ये सभी कम्पनियां विकास के वही कार्य कर रही हैं जो संविधान के तहत संचालित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगमों के अधीन हैं।