दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम, 10 हजार नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की गई तैनाती
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने नगर में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए 10,000 नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों को फिर से तैनात करने का निर्णय लिया है। ये स्वयंसेवक पिछले साल नवंबर में ‘बस मार्शल’ के रूप में कार्य करते समय बर्खास्त कर दिए गए थे। मुख्यमंत्री आतिशी ने सोमवार, 28 अकटूबर को एक संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में जानकारी दी।
आतिशी ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों में मदद करने के लिए बर्खास्त किए गए बस मार्शलों और स्वयंसेवकों को पुनः शामिल करने का फैसला लिया गया है। उन्हें दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और परिवहन विभाग जैसी विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से तैनात किया जाएगा। स्वयंसेवक प्रदूषण नियंत्रण उपायों के अनुपालन को सुनिश्चित करने, वाहन उत्सर्जन की निगरानी करने और निजी वाहनों पर निर्भरता कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन प्रबंधन में सहयोग करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन स्वयंसेवकों को प्रदूषण के दृष्टिकोण से संवेदनशील 13 क्षेत्रों और अन्य अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। इसके अलावा, वे 1,000 प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) केंद्रों के निरीक्षण में भी सहायता करेंगे, ताकि किसी भी अनियमितता को रोका जा सके।
आतिशी ने कहा कि नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों का पंजीकरण अगले सप्ताह किया जाएगा, जिसके बाद उन्हें चार महीने की अवधि के लिए ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की हाल की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ये स्वयंसेवक विभिन्न प्रदूषण-रोधी उपायों के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
हालांकि, इस निर्णय को लेकर राजनीति भी गरमा गई है। आम आदमी पार्टी (आप) ने आरोप लगाया कि सभी बस मार्शल को भाजपा की ‘साजिश’ के तहत हटाया गया था। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि पुनर्नियुक्ति उनकी मांग पर हुई है, और आरोप लगाया कि आतिशी केवल श्रेय लेने का प्रयास कर रही हैं। भाजपा ने यह भी कहा कि अरविंद केजरीवाल की सरकार ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं का पालन किए बिना स्वयंसेवकों को नियुक्त किया था।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इस पुनर्नियुक्ति को सकारात्मक कदम मानते हुए कहा कि इससे दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद मिलेगी। इस प्रकार, नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की वापसी को दिल्ली सरकार द्वारा प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।