पटना : आरक्षण पर पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। बिहार सरकार के वकील मनीष सिंह ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। याचिका में हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई है। इस पर जेडीयू नेता ने कहा कि ये तो हमारा दायित्व है।
बिहार सरकार के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर जदयू नेता भगवान सिंह कुशवाहा ने कहा कि यह तो हमारा दायित्व है। जातीय जनगणना के बाद जनसंख्या के आधार पर सर्वसम्मति से आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई थी। पटना हाई कोर्ट ने सरकार के आरक्षण के फैसले को रद्द किया, इसलिए हमारी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ भारत सरकार से आग्रह किया है कि इसको नवमी सूची में शामिल किया जाए, इसे संविधान का एक अंग बनाया जाए, क्योंकि ये पिछडों और गरीबों से जुड़ा हुआ मामला है। हमने आरक्षण इसलिए दिया था ताकि इनलोगों को लाभ मिले। भारत सरकार से आग्रह है कि कोर्ट के फैसले से पहले अगर आप इसे नवमी सूची में शामिल कर लेते हैं तो जनता के बीच सरकार के प्रति एक अच्छा मैसेज जाएगा।
बिहार सरकार की ओर से यह याचिका पटना हाई कोर्ट द्वारा आरक्षण के कोटे को 65 फीसदी से घटाकर 50 फीसदी करने पर दायर की गई है। दरअसल, पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार की ओर से आरक्षण की सीमा 50 से 65 फीसदी बढ़ाए जाने को रद्द कर दिया था।